नई दिल्ली: पिछले एक दशक में Indian economy में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो अब वित्त वर्ष 2024-25 में 331.03 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जबकि वित्त वर्ष 2014-15 में यह 106.57 लाख करोड़ रुपये थी। यह वृद्धि मजबूत आधार और निरंतर अच्छे प्रदर्शन से प्रेरित है। हाल ही में जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, Indian economy के 2024-25 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है।
दुनिया के सामने चुनौती
Indian economy वृद्धि ऐसे समय में हो रही है, जब दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं विकास चुनौतियों का सामना कर रही हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी इस विकास गति को आगे बढ़ाने की उम्मीद जताई है, जिसमें 2025-26 में भी इसी तरह की वृद्धि की उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र ने अगले साल भारत की विकास दर 6.3 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जबकि भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने इसे थोड़ा अधिक यानी 6.4 से 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
निवेश में आई तेजी
सरकारी बयान में कहा गया है कि इस निरंतर प्रदर्शन का आधार मजबूत घरेलू मांग है। ग्रामीण खपत में तेजी आई है और शहरी खर्च भी बढ़ रहा है। निजी निवेश में तेजी आई है और कई व्यवसाय अब अपने अधिकतम उत्पादन स्तर पर काम कर रहे हैं। साथ ही, सार्वजनिक निवेश उच्च बना हुआ है, खासकर बुनियादी ढांचे में। इसके अलावा, स्थिर ऋण स्थितियां फर्मों और उपभोक्ताओं को विवेकपूर्ण निर्णय लेने में मदद कर रही हैं।
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Indian economy पर क्या है राय
हालांकि, बयान में यह भी उल्लेख किया गया है कि वैश्विक स्थितियां नाजुक बनी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र ने व्यापार तनाव, नीतिगत अनिश्चितताओं और सीमा पार निवेश में गिरावट के कारण Indian economy को "अनिश्चितता के दौर" में बताया है। इसके बावजूद, भारत इस माहौल में एक उज्ज्वल स्थान के रूप में उभर रहा है। वैश्विक संस्थाएं और उद्योग निकाय भारत को एक आशाजनक क्षेत्र के रूप में देखते हैं, इसकी विकास संभावनाओं पर विश्वास व्यक्त करते हैं। यह सकारात्मक दृष्टिकोण निस्संदेह भारत के सतत आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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