सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को नॉन-स्मार्टफोन यूजर्स के लिए अलग रिचार्ज प्लान लाने के लिए बाध्य करने से इनकार कर दिया है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस बारे में बयान देते हुए कहा कि फिलहाल सरकार इस पर विचार नहीं कर रही है। वर्तमान में मोबाइल सिम उपयोग करने के लिए उपभोक्ताओं को औसतन 200 रुपये मासिक खर्च करना पड़ता है। इस प्लान में अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग और सीमित डेटा शामिल होता है, लेकिन इसका लाभ सभी उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच पाता।

टैरिफ बढ़ोतरी और ARPU में बदलाव

हाल ही में टेलीकॉम कंपनियों ने अपने टैरिफ में बढ़ोतरी की है, जिससे कई उपभोक्ताओं ने अपने नंबर पोर्ट करवाने का फैसला किया। सरकार ने स्पष्ट किया है कि टैरिफ के मामलों में सीधा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह टेलीकॉम कंपनियों का स्वतंत्र निर्णय है। सरकार केवल टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के माध्यम से प्रतिक्रिया दे सकती है।

टैरिफ बढ़ोतरी के बाद टेलीकॉम कंपनियों के औसत प्रति उपयोगकर्ता राजस्व (ARPU) में बदलाव देखा गया है, जिसे कंपनियों के लिए सकारात्मक माना जा रहा है। हालांकि, टैरिफ बढ़ने से कई उपयोगकर्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी पड़ा है।

सस्ती रिचार्ज की उम्मीद बरकरार

वर्तमान में मोबाइल नंबर चालू रखने के लिए 200 रुपये तक खर्च करना पड़ता है। इसमें भी सर्विस वैलिडिटी के साथ कुछ फायदे मिलते हैं। कई उपभोक्ता केवल कॉलिंग और बेसिक सेवाओं के लिए और भी सस्ते प्लान्स की मांग कर रहे हैं।

भविष्य में सरकार और टेलीकॉम कंपनियों के बीच इस विषय पर बातचीत से कुछ ठोस निर्णय निकलने की उम्मीद है। हालांकि, फिलहाल सरकार टेलीकॉम कंपनियों के नीतिगत फैसलों में हस्तक्षेप से बच रही है।

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