Human Eye Camera : क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी आंखें जिस खूबसूरती को देखती हैं, हमारा स्मार्टफोन उसे हूबहू कैमरे में क्यों नहीं उतार पाता? अक्सर ऐसा होता है कि हम किसी शानदार नज़ारे की तस्वीर लेते हैं, लेकिन वो वैसी नहीं दिखती जैसी हमने अपनी आँखों से देखी थी।
अरे भई, कैमरे की भी अपनी सीमाएं होती हैं! पर अब Apple एक ऐसी कमाल की टेक्नोलॉजी लाने वाला है, जो इस समस्या को जड़ से ख़त्म कर सकती है। उनका नया पेटेंटेड कैमरा सेंसर इंसानी आंखों की तरह ही काम करेगा, यानी जो आप देखेंगे, वही कैमरे में कैद होगा।
Human Eye Camera : आँखों जैसी नज़रों वाला कैमरा, Apple का नया पेटेंट
Apple ने हाल ही में एक नया पेटेंट फाइल किया है, जिसने मोबाइल फोटोग्राफी की दुनिया में हलचल मचा दी है। ये पेटेंट एक ऐसे खास इमेज सेंसर के बारे में है जो 20 स्टॉप तक की डायनामिक रेंज को कैप्चर कर सकता है। अगर आसान शब्दों में कहें तो, ये सेंसर उतनी ही रोशनी और अलग-अलग रंगों को रिकॉर्ड कर पाएगा, जितना हमारी इंसानी आंखें देख पाती हैं।
अभी तक, हमारे स्मार्टफोन कैमरे मुश्किल से 10 से 12 स्टॉप तक ही सीमित रहते हैं। ऐसे में Apple का ये नया सेंसर गेम चेंजर साबित हो सकता है, बिल्कुल ईंट का जवाब पत्थर से देने जैसा।
Human Eye Camera : स्टॉप और डायनामिक रेंज का खेल: फोटोग्राफी की बारीकियां
अब आप शायद सोच रहे होंगे कि ये "स्टॉप" और "डायनामिक रेंज" आखिर हैं क्या? दरअसल, फोटोग्राफी की दुनिया में "स्टॉप" एक यूनिट है। ये हमें बताता है कि कोई कैमरा एक साथ कितनी रोशनी या अँधेरे को कैप्चर कर सकता है।
सीधा गणित है - जितने ज़्यादा स्टॉप होंगे, आपकी तस्वीर में उतनी ही ज़्यादा बारीकी और गहरे रंग नज़र आएंगे। बस, इतनी सी बात है! आज की तारीख में, बड़े-बड़े प्रोफेशनल कैमरे भी 13 से 14 स्टॉप तक ही पहुँच पाते हैं, जबकि हमारी इंसानी आँखें लगभग 20 स्टॉप की रेंज तक देख सकती हैं।
यह एक बड़ा फ़र्क़ है, और इसी फ़र्क़ को Apple कम करने की तैयारी में है। यही वजह है कि जब हम किसी चमकदार सूरज की रोशनी वाली जगह और अंधेरी छाया को एक साथ देखते हैं, तो हमारी आंखें दोनों को साफ देख पाती हैं, पर कैमरा नहीं।
कैमरा या तो चमकदार हिस्से को सही दिखाता है और अंधेरा हिस्सा बिल्कुल काला हो जाता है, या फिर इसका उल्टा। ये नया सेंसर इस समस्या को खत्म कर देगा।
Human Eye Camera : LOFIC टेक्नोलॉजी, अंधेरे और उजाले में कोई फर्क नहीं
Apple के इस नए पेटेंट का पूरा नाम है "Image Sensor With Stacked Pixels Having High Dynamic Range And Low Noise"। इसमें "स्टैक्ड सेंसर" टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो दो परतों में बनी होती है – एक लाइट कैप्चर करने के लिए और दूसरी प्रोसेसिंग के लिए। पर इसकी सबसे खास बात है LOFIC (Lateral Overflow Integration Capacitor) नाम की टेक्नोलॉजी।
ये हर एक पिक्सल को अलग-अलग स्तर की लाइट को मैनेज करने की ताकत देती है। इसका सीधा मतलब ये है कि चाहे आप किसी अँधेरे कमरे में फोटो खींच रहे हों या बाहर तेज़ धूप में, तस्वीर में हर छोटी से छोटी डिटेल भी साफ दिखेगी। न कोई हिस्सा बहुत काला लगेगा और न ही कोई बहुत ज़्यादा चमकीला।
इस नए सेंसर की एक और ज़बरदस्त बात ये है कि इसमें नॉइज़ (धुंधलापन या दाने) न के बराबर होगा। पता है क्यों? क्योंकि हर पिक्सल के साथ एक खास नॉइज़-कंट्रोल सर्किट लगा है, जो रियल टाइम में ही अनचाहे धुंधलेपन को हटा देता है। इसका सीधा फायदा ये होगा कि आपकी तस्वीरें और वीडियो एकदम साफ़ और चमकीले दिखेंगे, खासकर कम रोशनी में तो कमाल ही हो जाएगा।
अगर Apple ये सेंसर अपने आने वाले आईफोन (iPhones) या विजन प्रो (Vision Pro) जैसे प्रोडक्ट्स में ले आता है, तो यक़ीन मानिए, आने वाले समय में आप अपने फ़ोन से ही सिनेमा जैसी एचडीआर (HDR) वीडियो और प्रोफेशनल तस्वीरें खींच पाएंगे। अभी ये भले ही सिर्फ एक पेटेंट है, तो ये ज़रूरी नहीं कि ये टेक्नोलॉजी तुरंत ही हमारे हाथ में आ जाए, लेकिन अंधेरे में भी रोशनी की किरण दिख रही है, ये तो तय है!
यह भी पढ़ेंः- Big Change in UPI Payment : अब दिखेगा सिर्फ Beneficiary का असली नाम, धोखाधड़ी पर लगेगा अंकुश
हमारे WhatsApp चैनल को अभी फॉलो करें ताज़ा ख़बरों और अपडेट्स के लिए।
हमारे WhatsApp चैनल को अभी फॉलो करें ताज़ा ख़बरों और अपडेट्स के लिए।