कांटा लगा गर्ल Shefali Jariwala की असामयिक मौत ने सौंदर्य प्रसाधनों के इस्तेमाल और Anti Aging दवाओं के दुष्प्रभावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि Anti Aging दवाएं और इंजेक्शन तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, ये गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकते हैं। 2002 के मशहूर म्यूजिक वीडियो 'कांटा लगा' से लोकप्रिय हुईं Shefali Jariwala का 27 जून को मुंबई में 42 साल की उम्र में निधन हो गया। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट बताई जा रही है।

Anti Aging इंजेक्शन ले रहीं थी Shefali

हालांकि, यह भी सामने आया है कि Shefali Jariwala Anti Aging इंजेक्शन का कॉकटेल ले रही थीं और कथित तौर पर उन्होंने उपवास के दौरान खुद को इंजेक्शन लगाया। एम्स के पूर्व निदेशक Dr. Randeep Guleria ने कहा कि Anti Aging दवाएं बहुत लोकप्रिय हो रही हैं, लेकिन उनका नियमन नहीं किया जाता। इनमें से कई उत्पादों के प्रभावकारिता का समर्थन करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हैं और लंबे समय तक उपयोग से हानिकारक दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

क्या कहती है रिपोर्ट

केरल राज्य आईएमए के शोध प्रकोष्ठ के संयोजक Dr. Rajeev Jayadevan ने कहा कि Anti Aging कोई वैज्ञानिक शब्द नहीं है। ऐसे उत्पाद प्राकृतिक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को उलट या रोक नहीं सकते। कुछ दवाओं से त्वचा का रंग हल्का करना संभव है, लेकिन यह Anti Aging जैसा नहीं है। पुलिस जांच का हवाला देते हुए मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि Shefali Jariwala करीब आठ साल से त्वचा को गोरा करने और Anti Aging treatment, खासकर ग्लूटाथियोन और विटामिन सी का इस्तेमाल कर रही थी। यह सब बिना किसी चिकित्सकीय देखरेख के चल रहा था।

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भारत में तेजी बढ़ा चलन

डॉ. जयदेवन ने कहा कि जब दवा को सीधे नस में इंजेक्ट किया जाता है, तो रक्त और ऊतकों में इसकी सांद्रता बहुत अधिक हो सकती है। ऐसे इंजेक्शन को सावधानीपूर्वक नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस की रिपोर्टों का हवाला दिया, जहां ग्लूटाथियोन इंजेक्शन में विषाक्त पदार्थ और गंभीर दुष्प्रभाव पाए गए थे।

हाल ही में ISAPS ग्लोबल सर्वे के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा सौंदर्य और कॉस्मेटिक है। यह प्रक्रिया के लिए दुनिया के शीर्ष 10 देशों में से एक है। Dr. Randeep Guleria ने कहा कि ऐसी दवाओं का विनियमन आवश्यक है। यदि उनकी सुरक्षा और प्रभावशीलता का कोई सबूत नहीं है और वे हानिकारक हो सकते हैं, तो उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। यह विनियमन अन्य सप्लीमेंट्स पर भी लागू होना चाहिए जो मांसपेशियों के निर्माण के अलावा कई अन्य कारणों से शरीर में पहुंचाए जाते हैं।

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