भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। वित्त मंत्रालय और ईवाई की रिपोर्ट में भरोसा जताया गया है कि वित्त वर्ष 2025 में देश की आर्थिक वृद्धि दर (GDP) 6.5% रहेगी। हालांकि, हाल ही में आई सितंबर तिमाही के आंकड़े देश की आर्थिक रफ्तार में थोड़ी सुस्ती को दर्शाते हैं।
GDP सितंबर तिमाही में गिरावट, लेकिन दीर्घकालिक संभावनाएं मजबूत
वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में भारत की GDP वृद्धि दर 5.4% रही, जो पिछले सात तिमाहियों का सबसे निचला स्तर है। इस गिरावट का मुख्य कारण निजी उपभोग व्यय और सकल स्थिर पूंजी निर्माण में कमी बताया गया है। पिछली तिमाही में GDP की दर 6.7% थी। घरेलू मांग के इन दो प्रमुख घटकों में संयुक्त रूप से 1.5% अंक की कमी आई है, जिससे आर्थिक विकास धीमा हुआ।
ईवाई की रिपोर्ट के अनुसार, सकल स्थिर पूंजी निर्माण की वृद्धि दूसरी तिमाही में 5.4% रही, जो छह तिमाहियों का सबसे निचला स्तर है। निजी निवेश की मांग कमजोर रही है, और सरकार के निवेश खर्च में भी गिरावट देखी गई है। पहली छमाही में सरकारी निवेश खर्च में 15.4% की कमी दर्ज की गई है।
दीर्घकालिक विकास के लिए राजकोषीय सुधार जरूरी
ईवाई की ‘इकनॉमी वॉच दिसंबर 2024’ रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए आर्थिक वृद्धि दर(GDP) 6.5% रहने का अनुमान जताया गया है। रिपोर्ट में विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राजकोषीय दायित्व ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी.के. श्रीवास्तव ने कहा कि राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम में संशोधन की जरूरत है। यह कदम सरकारी बचत को समाप्त करने, निवेश आधारित वृद्धि को बढ़ावा देने और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक है।
निवेश आधारित अर्थव्यवस्था की ओर कदम
टिकाऊ ऋण प्रबंधन और निवेश पर केंद्रित दृष्टिकोण भारत को विकसित अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर ले जा सकता है। ईवाई ने कहा कि ये सुधार वर्तमान आर्थिक बाधाओं को हल करने के साथ-साथ दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित करेंगे।
इसका लक्ष्य भारत को 2047-48 तक विकसित राष्ट्र बनाने का है। निवेश आधारित विकास की रणनीति के तहत अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जाएगा, जो भविष्य में भी स्थिरता बनाए रख सकेगी।
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