मशहूर उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) आज भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी जिंदगी आज करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणा की तरह है. उन्होंने निस्वार्थ भाव से जो कुछ भी किया, वह करने के लिए एक सच्चा दिल, एक ईमानदार व्यक्ति की आवश्यकता होती है.
यही वजह है कि उनके जाने से इस वक्त पूरा देश गहरी शोक में है. उन्होंने हमेशा अपनी विचारधारा से लोगों को प्रेरित करने का काम किया है. 1937 में जन्मे रतन टाटा जब बहुत छोटे थे तो उनके माता-पिता अलग हो गए.
इसके बाद उनका पालन पोषण उनकी दादी नवाज़ भाई टाटा ने किया. फिर वह आगे की पढ़ाई के लिए 1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी चले गए.
इस तरह शुरू हुई Ratan Tata की यात्रा
लगातार सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ने गए रतन टाटा (Ratan Tata) ने अपने काम से इतना ज्यादा प्रभावित किया कि उन्हें भारत सरकार ने 2008 में पद्म विभूषण जो कि, दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है उससे सम्मानित किया गया.
उसके 4 साल बाद 2012 को टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में रतन टाटा रिटायर हुए जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने मार्च 1991 में संभाली थी.
आपको बता दें कि जब उन्होंने यह जिम्मेदारी संभाली थी उस वक्त टाटा ग्रुप की आय 10000 करोड़ थी, लेकिन रतन टाटा ने कंपनी को ऊंचाइयों पर पहुंचाया और इसकी आय 100.09 बिलियन डॉलर तक पहुंचा दिया.
हमेशा याद रहेगा ये फैसला
रतन टाटा (Ratan Tata) के नेतृत्व में ही टाटा ग्रुप ने लग्जरी कार निर्माता कंपनी जगुआर लैंड रोवर के अधिग्रहण का ऐतिहासिक फैसला किया था, जिसके 2.3 अरब डॉलर का अधिग्रहण हुआ था.
उसके अलावा टाटा ग्रुप ने साल 2021 में एयर इंडिया का अधिग्रहण किया जिसकी कीमत 18000 करोड रुपए थी. जब रतन टाटा ने रिटायरमेंट ले लिया और अध्यक्ष पद को छोड़ दिया.
उनके बाद एन चंद्रशेखरन के हाथों मे ये जिम्मेदारी सौंपी गई जो इससे पहले टाटा कंसलटेंसी सर्विस के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर भी रह चुके हैं.