Wholesale Price Inflation: ,इस वक्त बाजार में देखा जाए तो महंगाई ने आम आदमी को झटका देना शुरू कर दिया है. खुदरा महंगाई में उछाल के बाद अब थोक महंगाई भी अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. दरअसल खुदरा महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक के दायरे की सीमा को अब पार कर चुकी है और 14 महीने बाद 6.21 फीसदी पार पहुंच चुकी है जबकि आरबीआई की महंगाई का दर 6 फीसदी है.
आपको बता दे कि त्योहार के सीजन में हाई फूड प्राइस के कारण महंगाई दर (Wholesale Price Inflation) में इजाफा हुआ है. अगस्त 2023 के बाद ऐसा पहली बार है जब महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक की 6% की सीमा को पार कर गई.
Wholesale Price Inflation: सामने आए ये आंकड़े
इससे पहले आंकड़ों के मुताबिक यह देखा गया था कि खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.02 फीसदी पर पहुंच गई थी, जो सितंबर में 5.5 फीसदी थी. आपको बता दे कि महंगाई बढ़ने से अर्थव्यवस्था में अब मंदी के संकेत दिखने लगे हैं.
मुख्य रूप से सब्जी, फल और तेल जैसी आवश्यक और दैनिक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली चीजों की कीमतों में वृद्धि हुई है. टमाटर, प्याज और आलू की कीमतें पूरे महीने महंगी रही है. इसके विपरीत दाल एवं चीनी और मसाले के दाम (Wholesale Price Inflation) घटे हैं.
अक्टूबर में प्याज की कीमत में जो अचानक वृद्धि आई थी, वह भी एक चिंता का विषय है. इतना ही नहीं सितंबर के बाद अक्टूबर में भी यह देखा गया कि टमाटर की कीमत 1 साल पहले के समान 29 रुपए से सीधे 64 रुपए प्रति किलोग्राम पहुंच गई.
रेपो रेट दर में नहीं होगी कटौती
आरबीआई यह हमेशा चाहती है कि महंगाई दर 6 फीसदी के नीचे बना रहे लेकिन ताजा आंकड़े देखकर यह साफ पता चल रहा है कि इस बार यह सीमा पार हो गई है. बढ़ती महंगाई (Wholesale Price Inflation) का असर मासिक किस्त पर भी पड़ सकता है,
क्योंकि आरबीआई रेपो रेट में कटौती का फैसला लंबे वक्त के लिए टाल सकती है. आरबीआई गवर्नर ये पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि दिसंबर में होने वाली मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट दर में कोई कटौती नहीं होगी.
Read Also: Smartphone Price Hike: तेजी से बढ़ने वाली है स्मार्टफोंस की कीमत, 2025 में इतने होंगे दाम