Delhi Election के अप्रत्याशित नतीजे सामने आ गए हैं और BJP को बहुमत मिल गया है, वहीं AAP पूरी तरह साफ हो गई है। अरविंद केजरीवाल के साथ ही मनीष सिसोदिया, सत्येन्द्र जैन, अवध ओझा, दुर्गेश पाठक, सौरभ भारद्वाज सहित कई बड़े नेताओं को करारी पटखनी मिली है। चुनाव नतीजों के बीच Election Commission की भूमिका और EVM को लेकर भी लोग आशंका व्यक्त कर रहे हैं और विपक्षी दल ईवीएम पर लगातार संदेह जताते रहे हैं।

EVM पर चुनाव आयोग स्पष्ट

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि EVM से न तो छेड़छाड़ की जा सकती है और न इसे Hack किया जा सकता है। आइए समझते हैं EVM कैसे काम करता है ? EVM के जरिए वोट कैसे डाले जाते हैं और Election Commission कैसे इसके हैक प्रूफ होने का दावा करता है। भारत में चाहे लोकसभा चुनाव हों या फिर विधानसभा, सभी पर वोट अब EVM के जरिए ही डाले जाते हैं। EVM के जरिए वोट पड़ने की शुरूआत के बाद मतदाताओं के बीच प्रक्रिया को लेकर काफी विश्वास पैदा हुआ है और लोग इस पर भरोसा भी करते हैं। हालांकि, चुनाव में हार मिलने पर राजनीतिक पार्टियां इस पर अक्सर सवाल खड़े करती रहती हैं।

जानिए क्या होती है EVM और कैसे करती है काम

EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में एक Balloting Unit और एक Control Unit होती है। इन दोनों हिस्सों को जोड़ने के लिए करीब पांच मीटर की केबल का इस्तेमाल किया जाता है। एक मतदान अधिकारी Control Unit की देखरेख करता है और वोट डालने के लिए Balloting Unit को एक अलग डिब्बे में रखा जाता है। यह 6V एल्कलाइन बैट्री पर चलती है। यह बैट्री इसलिए लगाई जाती है कि अगर बिजली नहीं होती है तो भी EVM इस्तेमाल करने योग्य रहती है। इसमें लगी Balloting Unit मतदाताओं को हॉरिजेंटली लगे हुए नीले बटन के जरिए उम्मीदवार के नाम और पार्टी के चिन्ह को दिखाता है। इसके अलावा Control Unit में बैलट लिखा हुआ बटन होता है, जिसके प्रयोग मतदान अधिकारी अगले मतदाता के लिए तैयार होने के लिए करते हैं।

जानिए कौन बनाता है EVM

भारत में EVM का निर्माण BEL यानी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ही करती है, जिसका इस्तेमाल अलग-अलग चुनावों के दौरान किया जाता है। BEL भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के तहत एक नवरत्न PSU है। ईवीएम के अलावा यह सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और सिस्टम भी बनाती है।

क्या हैक हो सकती है EVM ?

EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लेकर Election Commission पहले ही साफ कर चुका है कि इसे Hack नहीं किया जा सकता है। आयोग का कहना है कि EVM एक स्टैंड-अलोन मशीन है और यह तार या वायरलेस तरीके से किसी Network से जुड़ी नहीं होती है। इसका मतलब यह है कि एक बार प्रोग्राम लिखे जाने के बाद EVM में बदलाव नहीं किया जा सकता है। अगर साफ-साफ शब्दों में कहा जाए तो EVM पर कोई दूसरा सॉफ्टवेयर राइट नहीं किया जा सकता है और न ही संशोधित किया जा सकता है।

क्या हो सकती EVM Memory में हेराफेरी ?

EVM को लेकर एक और आरोप लगाया जाता है कि मेमोरी मैनिपुलेटर आईसी (Integrated Circuit) को मेमोरी चिप में क्लिप करके मतदान के डेटा को बदला जा सकता है, जहां पर वोट का डेटा स्टोर रहता है। हालांकि, ऐसा करने के लिए मतदान समाप्त होने के बाद Control Unit तक पहुंच की जरूरत होती है लेकिन वोटिंग खत्म होते ही EVM प्रशासनिक सुरक्षा में पहुंच जाती है। खास बात यह है कि इसे सुरक्षित रखने के लिए दो लेयर का सुरक्षा घेरा होता है और CCTV फुटेज व स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की भी कड़ी निगरानी होती है। ऐसे में इसकी सील तोड़ पाना किसी भी तरीके से संभव नही है।

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