भारत में डिजिटल पेमेंट का चलन दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ता जा रहा है, और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) का इस्तेमाल देशभर में डिजिटल लेनदेन का सबसे प्रभावी और सरल माध्यम बन गया है। UPI की बढ़ती लोकप्रियता और सुविधाजनक उपयोग के कारण अब इसे एक वैश्विक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।

हालिया आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि UPI के जरिए देश में लेनदेन की संख्या और उसकी मूल्य लगातार बढ़ रही है।

अक्टूबर में UPI ने बनाए नए रिकॉर्ड

नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2024 में UPI के जरिए 16.58 अरब लेनदेन दर्ज किए गए, जिनकी कुल वैल्यू करीब 23.5 लाख करोड़ रुपये रही। अप्रैल 2016 में यूपीआई के लॉन्च के बाद यह अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है।

सितंबर 2024 की तुलना में अक्टूबर में लेनदेन की संख्या में 10 प्रतिशत और उनकी वैल्यू में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अक्टूबर में औसत दैनिक लेनदेन की संख्या 535 मिलियन रही, जबकि इसकी औसत दैनिक वैल्यू 75,801 करोड़ रुपये रही।

अन्य डिजिटल पेमेंट माध्यमों में भी वृद्धि

यूपीआई के साथ-साथ अन्य डिजिटल पेमेंट विकल्पों में भी बढ़ोतरी देखी गई है। अक्टूबर में IMPS के जरिए 467 मिलियन लेनदेन हुए, जो सितंबर के मुकाबले 9 प्रतिशत अधिक थे, और इसकी कुल वैल्यू 6.29 लाख करोड़ रुपये रही।

इसी तरह, FASTag के लेनदेन में भी 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिसकी संख्या 345 मिलियन तक पहुंची और इसकी वैल्यू 6,115 करोड़ रुपये रही। इसके अलावा, आधार इनेबिल्ड पेमेंट सिस्टम (AEPS) पर भी 126 मिलियन लेनदेन दर्ज किए गए, जो पिछले महीने की तुलना में 26 प्रतिशत ज्यादा रहे।

मार्च 2021 से अब तक कंज्यूमर स्पेंडिंग में डिजिटल लेनदेन की हिस्सेदारी 40 से 48 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। यूपीआई आधारित लेनदेन की संख्या इस साल की पहली छमाही में 52 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 78.97 अरब पहुंची, जबकि लेनदेन का मूल्य भी 40 प्रतिशत बढ़कर 116.63 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

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