देश में डिजिटल पेमेंट का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका यूपीआई (UPI) अब सब्जी बाजार से लेकर मॉल तक, हर जगह इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, इसके साथ ही यूपीआई फ्रॉड के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। इस मुद्दे पर हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आंकड़े पेश किए और यूपीआई ट्रांजेक्शन व उससे जुड़े फ्रॉड के बारे में जानकारी दी।
तीन सालों में UPI ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड
वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई ट्रांजैक्शन की मात्रा हर साल बढ़ रही है।
वित्त वर्ष 2022-23: 139.15 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन।
वित्त वर्ष 2023-24: 199.96 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन।
वित्त वर्ष 2024-25: अब तक 122.05 लाख करोड़रुपये का लेन-देन हो चुका है।
सीतारमण ने स्पष्ट किया कि यूपीआई ट्रांजेक्शन की जियोग्राफिकल लोकेशन ट्रैक नहीं की जाती, क्योंकि आरबीआई द्वारा ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
UPI फ्रॉड के आंकड़े
UPI का इस्तेमाल जितना बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से फ्रॉड के मामले भी सामने आ रहे हैं। वित्त मंत्री ने तीन वर्षों के आंकड़े साझा किए:
2022-23: 7.25 लाख मामलों में 573 करोड़ रुपये का नुकसान।
2023-24: 13.42 लाख मामलों में 1087 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी।
2024-25: अब तक 6.32 लाख मामलों में 485 करोड़ रुपये का नुकसान।
फ्रॉड रोकने के लिए उठाए गए कदम
फ्रॉड के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सरकार, आरबीआई और एनपीसीआई लगातार सख्त कदम उठा रहे हैं। इन उपायों में पिन के जरिये टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, डिवाइस बाइंडिंग और दैनिक लेन-देन की सीमा तय करना शामिल है।
जागरूकता अभियान और सुझाव
सायबर फ्रॉड रोकने के लिए लोगों को सतर्क और जागरूक करना बेहद जरूरी है। आरबीआई समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाता है और उपयोगकर्ताओं को अनजान लिंक पर क्लिक न करने, अज्ञात कॉल और मैसेज से सावधान रहने की सलाह देता है। इसके अलावा, विज्ञापनों और अन्य माध्यमों से भी जागरूकता बढ़ाई जा रही है। यूपीआई ने देश में डिजिटल भुगतान की दिशा में बड़ा बदलाव किया है, लेकिन इसके सुरक्षित उपयोग के लिए जागरूकता और सतर्कता जरूरी है।
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