महीने के आखिरी दिन चल रहे हैं और अब सभी को अपनी इस महीने की आने वाली Salary का इंतजार है। लेकिन एक कर्मचारी के CTC और सैलरी में काफी ज्यादा अंतर होता है। CTC 3.50 लाख का होता है लेकिन हाथ में कर्मचारी के 23 हजार ही आते हैं। इसलिए हर कर्मचारी को सैलरी स्लिप जानना जरूरी है। ताकि उसे समझ आ सके कि सैलरी में किस-किस चीज के पैसे कटते है और वो पैसे कहां जाते हैं। आईये समझते हैं Salary के बारे में सभी जानकारी।

Basic Salary

यह Salary का वह हिस्सा है, जो आपके काम के बदले कंपनी द्वारा निश्चित रूप से दिया जाता है। इसमें हाउस रेंट अलाउंस (HRA), बोनस, या टैक्स कटौती शामिल नहीं होती।

हाउस रेंट अलाउंस (HRA):

यह भत्ता किराए के घर में रहने वाले कर्मचारियों के लिए होता है। HRA आमतौर पर बेसिक सैलरी का 40-50% होता है। किराए की रसीद देने पर इस पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है। हालांकि, अगर कर्मचारी खुद के घर में रहता है, तो यह पूरी राशि टैक्स योग्य हो जाती है।

LTA (लीव ट्रैवल अलाउंस):

डोमेस्टिक ट्रैवल पर खर्च को कवर करने के लिए यह भत्ता दिया जाता है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 10(5) के तहत कर्मचारी चार साल में दो बार ट्रैवल खर्च पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। इसके लिए ट्रेन टिकट, होटल बिल जैसी रसीदें जमा करनी होती हैं।

मोबाइल और इंटरनेट अलाउंस:

कंपनी कामकाजी जरूरतों के तहत इंटरनेट और मोबाइल खर्च का रीइम्बर्समेंट देती है। इसमें भी लिमिट तक खर्च टैक्स फ्री होता है।

कंवेंस अलाउंस:

कर्मचारी के घर से ऑफिस तक आने-जाने का खर्च इस भत्ते में शामिल होता है।

अनिवार्य कटौतियां

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF):

यह रिटायरमेंट योजना है, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों अपनी बेसिक सैलरी का 12% योगदान करते हैं।

टीडीएस (TDS):

यह आपकी सैलरी पर सरकार द्वारा लगाया गया टैक्स है। यह आय के आधार पर कटता है और टैक्स कलेक्शन का एक महत्वपूर्ण जरिया है।

सैलरी स्लिप को समझना क्यों है जरूरी?

सैलरी स्ट्रक्चर में कई भत्ते और कटौतियां शामिल होती हैं, जिससे CTC और इन-हैंड सैलरी में बड़ा फर्क आता है। अपने फाइनेंस को सही से प्लान करने और टैक्स लाभ उठाने के लिए सैलरी स्लिप का विश्लेषण करना बेहद आवश्यक है।

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