भले ही राष्ट्रपति ट्रंप के बयान से भारत के शीर्ष नेतृत्व को अचंभित किया हो, लेकिन व्यापार के मामले में भारत और अमेरिका का साथ अब पहले के मुकाबले कई गुना बढ़ गया है। इतना ही नहीं इंडिया में Crude Oil का इम्पोर्ट सबसे ज्यादा अमेरिका से ही हो रहा है, आंकड़े देखें तो अब सिर्फ मध्य-पूर्व के साथ ही अमेरिका भी Crude Oil के एक्सपोर्ट में पीछ नहीं है। इसके पीछे भी कई वजहें हैं, लेकिन इस समय Crude Oil को एक्सपोर्ट करने में संयुक्त अरब अमीरात यानी UAE से अमेरिका आगे निकल चुका है।

एनर्जी कार्गो ट्रैकिंग फर्म वोर्टेक्सा के आंकड़ों के अनुसार, भारत की अमेरिका से कच्चे तेल यानी Crude Oil की खरीद पिछले साल के 0.17 एमबीडी से दोगुनी होकर 0.33 मिलियन बैरल प्रति दिन (एमबीडी) हो गई है।

रूस अब भारत को सबसे Crude Oil सप्लाई करता है

हालांकि अमेरिका की मौजूदगी बढ़ रही है, लेकिन रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है, जिसकी हिस्सेदारी अप्रैल में 37 फीसदी से ज्यादा थी। इसके बाद इराक (19 फीसदी), सऊदी अरब (10 फीसदी से ज्यादा) और अब अमेरिका (7 फीसदी से ज्यादा) का नंबर आता है। यूएई की हिस्सेदारी गिरकर 6.4 फीसदी रह गई है, जो पहले चौथे नंबर पर थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च में यूएई के भारी शिपमेंट के बाद अप्रैल में सप्लाई थोड़ी कम रही।

भारत में अमेरिकी तेल क्यों बढ़ा?

भारत को अमेरिका से तेल इसलिए भी ज्यादा आयात करना पड़ रहा है क्योंकि अमेरिका से यूरोप को भेजे जाने वाले शिपमेंट में कमी आई है। यूरोप भी अपने मुताबिक इसके के विकल्प तलाश रहा है और वहां कुछ रिफाइनरियां भी बंद हो गई हैं। नतीजतन, अमेरिका ने अपना ध्यान एशिया, खासकर भारत की ओर लगाया। अप्रैल में भारत ने अमेरिका के कुल तेल निर्यात का करीब 8 फीसदी खरीदा।

सऊदी और यूएई क्यों पिछड़ रहे हैं?

पुराने सप्लायर्स की कमी के कारण भी ऐसा हो रहा है, क्योंकि ये पुरानी पॉलिसी में फिट नहीं बैठ रहे। यूएई ने मार्च में ज्यादा तेल भेजा था, इसलिए अप्रैल में थोड़ी कमी आई। इसके अलावा सऊदी अरब फिलहाल पूर्वी एशिया और यूरोप में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, सऊदी अरब की सप्लाई जल्द ही वापस आ सकती है।

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