हाल ही में, लखनऊ का Taj Hotel एक बार फिर आतंकियों के निशाने पर आ गया है। सोमवार को हजरतगंज स्थित इस होटल को बम धमकी का ईमेल प्राप्त हुआ। जब भी ताज होटल (Taj Hotel) और आतंकवाद का जिक्र होता है, 2008 का भयानक हमला याद आ जाता है, जब मुंबई के ताज होटल में आतंकियों ने घुसकर चार दिनों तक आतंक फैलाया। उस हमले में 150 से अधिक लोगों की जान गई थी, जिसमें आतंकियों के अलावा कई निर्दोष नागरिक भी शामिल थे।

100 वर्षो से ज्यादा पुरानी है Taj Hotel

ताज होटल (Taj Hotel) का इतिहास 100 से अधिक वर्षों पुराना है और यह भारत की होटल इंडस्ट्री का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया के पास स्थित यह होटल, टाटा ग्रुप की पहली प्रॉपर्टी थी। जमशेदजी टाटा ने 1898 में इस होटल का निर्माण शुरू किया, जिसे 1903 में आम लोगों के लिए खोल दिया गया।

होटल के निर्माण के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। 1890 के दशक में, जमशेदजी टाटा ने वॉटसन होटल का दौरा किया, जहां उन्हें अंग्रेजों द्वारा रोका गया। यह होटल केवल यूरोपियनों के लिए था। इस घटना ने जमशेदजी को प्रेरित किया कि वे एक ऐसा होटल बनाएं, जहां सभी को स्वागत किया जाए।

होटल से जुड़ी रोचक बातें

ताज होटल के निर्माण में लगभग 5 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, इसे अस्पताल में बदल दिया गया था, जिसमें 600 बेड लगाए गए थे। पहले इस होटल के सिंगल रूम का किराया 10 रुपये था, जबकि आज यह 20 हजार रुपये तक पहुंच गया है।

दिलचस्प है कि गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण ताज होटल के बनने के बाद हुआ, जो 1924 में पूर्ण हुआ। इस होटल ने स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने यहां महत्वपूर्ण बैठकें की थीं, जो देश की आजादी की दिशा में महत्वपूर्ण थीं।

इस तरह, ताज होटल सिर्फ एक आलीशान होटल नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास का एक अहम हिस्सा है, जो न केवल आतंकी हमलों का शिकार हुआ, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भी अपनी भूमिका निभाई।

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