Credit Card का उपयोग आधुनिक जीवनशैली का अहम हिस्सा बन गया है। खरीदारी, बिल भुगतान और आकस्मिक जरूरतों में इसे प्राथमिकता दी जाती है। हालांकि, समय पर बिल न चुकाने पर इसका दुष्प्रभाव भी झेलना पड़ता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए बैंकों को क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट पर उच्च ब्याज दर लगाने की अनुमति दी है।
नेशनल कंज्यूमर फोरम का फैसला और सुप्रीम कोर्ट की रोक
नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने पहले बैंकों को निर्देश दिया था कि वे Credit Card डिफॉल्ट पर ब्याज दर 30% तक सीमित रखें। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए बैंकों को राहत दी और उन्हें उच्च ब्याज दर वसूलने की इजाजत दी। HSBC, स्टैंडर्ड चार्टर्ड और सिटी बैंक सहित अन्य बैंकों की अपील पर यह निर्णय लिया गया।
बैंकों का तर्क था कि 30% ब्याज दर की सीमा उन्हें कार्ड डिफॉल्ट मामलों में प्रभावी कार्रवाई करने से रोकती है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब बैंक 49% तक की ब्याज दर वसूल सकते हैं। इससे बैंकों को तो राहत मिली है, लेकिन उपभोक्ताओं के लिए चुनौती बढ़ गई है।
उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा दबाव
इस फैसले के बाद बैंकों के पास अपनी नीतियों के अनुसार लेट पेमेंट पर पेनाल्टी लगाने का अधिकार होगा। इससे Credit Card धारकों को समय पर भुगतान करने की आदत विकसित करनी होगी। लेट पेमेंट पर अब ज्यादा चार्ज वसूला जाएगा, जिससे खासतौर पर खराब क्रेडिट स्कोर वाले उपभोक्ताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
इसके विपरीत, समय पर भुगतान करने वाले उपभोक्ता बैंकों से बेहतर योजनाओं की मांग कर सकते हैं। इससे न केवल उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत होगी बल्कि क्रेडिट स्कोर भी सुधरेगा।
Credit Card की अधिक पेनाल्टी से कैसे बचें ?
1. समय पर बिल भुगतान: हमेशा सुनिश्चित करें कि क्रेडिट कार्ड बिल की देय राशि समय पर चुकाई जाए।
2. अप-टू-डेट जानकारी: बैंकों की पेनाल्टी दर और अन्य नीतियों में बदलाव की जानकारी रखें।
3. हेल्दी क्रेडिट प्रोफाइल: समय पर भुगतान कर क्रेडिट स्कोर को बनाए रखें।
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