27 May, 2025

BY: Komal

स्लिप डिस्क या साटिका, कई बीमारियों की दवा है ये छोटी सी पत्ती

प्रकृति ने हमें कई ऐसे औषधीय पौधे दिए हैं जो बिना किसी नुकसान के हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं। आयुर्वेद में इन पौधों को विशेष महत्व दिया गया है। इन्हीं में से एक है निर्गुंडी।

निर्गुंडी को साइटिका की सबसे अच्छी औषधि माना जाता है। आयुर्वेद में साइटिका को गृध्रसी रोग के नाम से जाना जाता है। इसमें कमर से लेकर पैरों तक तेज दर्द होता है, जिससे चलने-फिरने में परेशानी होती है। इस दर्द में निर्गुंडी के पत्ते बहुत फायदेमंद होते हैं।

इसके पत्तों को पानी में उबालकर निकलने वाली भाप को प्रभावित जगह पर लगाने से काफी आराम मिलता है। इसके अलावा निर्गुंडी के ताजे पत्तों को पीसकर गर्म करके दर्द वाली जगह पर लगाने से सूजन और दर्द दोनों से राहत मिलती है। कुछ दिनों तक लगातार इसका इस्तेमाल करने से साइटिका के पुराने दर्द में भी फर्क दिखने लगता है।

गठिया और गाउट में निर्गुंडी के पत्तों का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से आराम मिलता है। यह शरीर की सूजन को कम करता है और दर्द में राहत देता है। इसकी जड़ का चूर्ण बवासीर में भी फायदेमंद होता है। यह बालों के लिए भी उपयोगी है।

इसके पत्तों के तेल को तिल के तेल में मिलाकर सिर पर लगाने से सफेद बाल और त्वचा के संक्रमण में लाभ होता है। इसके पत्तों से बना काढ़ा सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए कुछ पत्तों को पानी में अच्छी तरह उबाल लें। आप चाहें तो इसमें लौंग, दालचीनी या अदरक भी मिला सकते हैं ताकि स्वाद और असर दोनों बढ़ जाएं। तैयार काढ़ा रोजाना पीने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं।

वहीं, त्वचा की देखभाल के लिए नारियल या तिल के तेल में निर्गुंडी के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर इस्तेमाल करें। इसे सीधे त्वचा पर लगाने से पहले अच्छी तरह मिला लें। निर्गुंडी जुकाम, सिरदर्द, गठिया और जोड़ों की सूजन में आराम देती है। यह पचने में हल्की होती है और दिमाग को तेज करती है।

यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करती है। पेट के कीड़े, पेट का दर्द, सूजन, कुष्ठ और बुखार जैसी समस्याओं में भी यह कारगर है। इसके पत्तों में रक्त को शुद्ध करने की क्षमता भी होती है। स्लिप डिस्क और कमर दर्द में निर्गुंडी को बहुत कारगर माना जाता है।

Thanks For Reading!

Next:

Read Next