भारत में नई कारों की बिक्री बढ़ने के साथ ही Second Hand Cars की सेल भी काफी तेजी से बढ़ी है। लोगों की प्राथमिकताएं काफी तेजी से बदल रही हैं, डिजिटल प्लेटफॉर्म की आसान उपलब्धता और काफी आराम से फाइनेंसिंग होने से यह सेगमेंट काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। क्रिसिल रेटिंग की रिपोर्ट्स पर गौर करें तो मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में सेकेंड हैंड कार्स की बिक्री में 8-10% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, जो कि नई कारों की बिक्री दर से करीब दोगुनी है।

खूब बढ़ रही Second Hand Cars की मांग

भारत में इस साल Second Hand Cars की बात करें तो इसकी बिक्री का आंकड़ा 60 लाख Unit के आस-पास पहुंच सकता है। इसकी ग्रोथ के पीछे वजह मानी जा रही है कि यह लोगों को काफी किफायती कीमत पर मिल जा रही हैं। लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए इसकी आसानी से क्वेरी कर पा रहे हैं और काफी आसानी से लोगों को इस पर लोन भी मिल जा रहा है। इस वजह से यह सेगमेंट काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

पांच साल पहले अलग था सीन

Second Hand Cars के मामले में 5 साल पहले अलग ही सीन था। उस समय जहां एक नई कार पर सिर्फ एक पुरानी कार बिकती थी लेकिन अब यह रेशियो 1.4 हो गया है। इसका मतलब साफ है कि हर नई 100 कारों के मुकाबले 140 सेकेंड हैंड कार्स बिक रही हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि लोग पहले की तुलना में जादा तेजी से गाड़ियों को अपग्रेड कर रहे हैं और सेकेंड हैंड कारों के प्रति लोगों का विश्वास भी बढ़ा है।

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अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी से है काफी पीछे

Second Hand Cars के प्रति भारत में लोगों का भरोसा काफी तेजी से बढ़ रहा है लेकिन इस मामले में अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी से वह अभी काफी पीछे हैं। रेशियो की बात करें तो अमेरिका में 2.5, ब्रिटेन में 4.0 और जर्मनी 2.6 से काफी पीछे है। यह आंकड़े बताते हैं कि सेकेंड हैंड कार्स का मार्केट अभी काफी तेजी से ग्रो करने वाला है क्योंकि इसमें बहुत सारी संभावनाएं हैं।

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