भारत सरकार ने Sim कार्ड विक्रेताओं के पंजीकरण और सत्यापन को लेकर नए नियम लागू करने का निर्णय लिया है। इन बदलावों का उद्देश्य फर्जी Sim कार्ड जारी करने और उनसे जुड़े वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों पर लगाम लगाना है। पहले 1 अक्टूबर से लागू होने वाले इन नियमों को अब 1 दिसंबर तक के लिए टाल दिया गया है। दूरसंचार विभाग (DoT) ने इस बदलाव के लिए टेलीकॉम कंपनियों को अतिरिक्त समय दिया है, ताकि वे अपने आईटी सिस्टम में जरूरी संशोधन कर सकें।
Sim कार्ड बिक्री के लिए सख्त नियम
सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे Sim कार्ड विक्रेताओं को पंजीकृत करें और उनकी उचित KYC प्रक्रिया पूरी करें। साथ ही, बल्क सिम कार्ड की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। 1 दिसंबर 2023 के बाद अगर कोई कंपनी बिना पंजीकरण के सिम कार्ड बेचने की अनुमति देती है, तो उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यह भी अनिवार्य किया गया है कि Sim विक्रेता और टेलीकॉम कंपनियों के बीच लिखित समझौता किया जाए।
सरकार ने पाया कि कई विक्रेता बिना उचित सत्यापन के सिम कार्ड जारी कर रहे थे, जिससे वित्तीय धोखाधड़ी और साइबर अपराध बढ़ रहे थे। इन समस्याओं को खत्म करने के लिए, फर्जी सिम कार्ड गतिविधियों में शामिल विक्रेताओं को तीन साल तक ब्लैकलिस्ट करने का प्रावधान किया गया है। अब तक लगभग 70,000 डीलरों को ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है और 300 से अधिक मामलों में FIR दर्ज की गई है।
बिजनेस कनेक्शंस का नया मॉडल
फर्जी सिम कार्ड के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार ने "बिजनेस कनेक्शंस" नामक एक नई प्रणाली शुरू की है। यह प्रणाली सुनिश्चित करेगी कि सिम कार्ड का उपयोग केवल वैध व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए हो। देश में फिलहाल लगभग 10 लाख सिम कार्ड विक्रेता सक्रिय हैं, और नए नियमों के तहत सभी को 30 नवंबर तक पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
नए नियमों का उद्देश्य न केवल साइबर अपराध को रोकना है, बल्कि दूरसंचार क्षेत्र में पारदर्शिता और सुरक्षा भी सुनिश्चित करना है। इन उपायों से उपभोक्ताओं को सुरक्षित सेवाएं मिलेंगी और देश में बढ़ते डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों पर लगाम लगेगी।
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