अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 6.21% पर पहुंच गई, जो पिछले 14 महीनों का उच्चतम स्तर है। फूड इंफ्लेशन, खासकर प्याज और टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी, इस उछाल का मुख्य कारण है। प्याज की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। बफर स्टॉक से प्याज को खुले बाजार में उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे कीमतों में गिरावट लाने की कोशिश की जा रही है।
सरकार ने दिए राहत के संकेत
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में और कमी आ सकती है। नई खरीफ फसल की बाजार में आवक शुरू हो गई है, जिससे कीमतें स्थिर होने की संभावना है। मौजूदा समय में प्याज का औसत खुदरा मूल्य 54 रुपये प्रति किलो है। सरकार ने दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में प्याज को 35 रुपये प्रति किलो की रियायती दर पर बेचने का अभियान शुरू किया है, जिससे ग्राहकों को महंगाई से राहत मिल रही है।
सरकार के पास 4.5 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक है, जिसमें से 1.5 लाख टन का निपटान किया जा चुका है। इस बार बफर प्याज को रेलवे के माध्यम से प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों तक पहुंचाया जा रहा है, जिससे सप्लाई में तेजी आई है। पिछले कुछ हफ्तों में दिल्ली, चेन्नई और गुवाहाटी जैसे शहरों को रेल रैक के जरिये करीब 4,850 टन प्याज की आपूर्ति की गई है। अकेले दिल्ली में 3,170 टन प्याज पहुंचाया गया है।
उत्पादन और कीमतों में सुधार की उम्मीद
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नाफेड के माध्यम से 730 टन का एक और रैक दिल्ली पहुंचने वाला है। इससे बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों में और गिरावट आएगी। अधिकारी ने यह भी बताया कि हाल ही में मंडियों के बंद रहने और त्योहारों के कारण मजदूरों की छुट्टियों की वजह से कीमतों पर दबाव बढ़ा था। हालांकि, अब स्थिति में सुधार हो रहा है और आने वाले दिनों में प्याज का उत्पादन अधिक होने की उम्मीद है।
सरकार का कहना है कि जब तक कीमतें स्थिर नहीं हो जातीं और बफर स्टॉक समाप्त नहीं होता, तब तक प्याज की थोक रेल ढुलाई जारी रहेगी। इन प्रयासों से जल्द ही उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत मिलने की संभावना है।
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