भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपनी ताजा बैठक में रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखने का फैसला लिया। यह लगातार 10वीं बार है जब आरबीआई (RBI) ने रीपो दर में कोई बदलाव नहीं किया। हालांकि, इस बार केंद्रीय बैंक ने पहली बार अपने नीतिगत रुख में बदलाव करते हुए इसे तटस्थ कर दिया है। यह बदलाव मई 2022 में शुरू हुई दर वृद्धि के बाद का पहला बड़ा निर्णय है।
RBI ने वृद्धि और मुद्रास्फीति का संतुलन
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से RBI मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित कर रहा था। हालांकि, अब केंद्रीय बैंक ने संकेत दिए हैं कि वृद्धि और मुद्रास्फीति, दोनों पहलुओं को ध्यान में रखा जाएगा। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि इस नीतिगत बदलाव के बाद दिसंबर में दर कटौती की संभावना बन सकती है।
मौद्रिक नीति समिति के छह में से पांच सदस्यों ने रीपो दर को यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया, जबकि बाहरी सदस्य नागेश कुमार ने 25 आधार अंकों की कटौती की सिफारिश की। रुख में बदलाव के मामले में सभी सदस्य सहमत थे। समिति ने कहा कि यह कदम वृद्धि को समर्थन देने के साथ-साथ मुद्रास्फीति को लक्षित दायरे में रखने की ओर केंद्रित है।
मुद्रास्फीति पर RBI का नजरिया
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अगस्त की बैठक के बाद के घटनाक्रम मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने की दिशा में सकारात्मक संकेत दे रहे हैं। हालांकि निकट अवधि में खाद्य मुद्रास्फीति के बढ़ने की संभावना है, लेकिन समग्र घरेलू कीमतें आगे चलकर नरम हो सकती हैं। दास ने कहा, "हमें मुद्रास्फीति पर कड़ी निगरानी रखनी होगी और इसे काबू में रखने के लिए सतर्कता बरतनी होगी।"
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024 के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान को 7.2% पर बरकरार रखा है। वहीं, वित्त वर्ष 2025 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5% पर स्थिर रखा गया है। हालांकि, बाजार के कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वृद्धि में सुस्ती के संकेत मिलने के बावजूद, दर में कटौती का फैसला दिसंबर में लिया जा सकता है।
दिसंबर में हो सकती है दर कटौती
मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 4 से 6 दिसंबर के बीच होने वाली है। यह बैठक आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में अंतिम होगी। दास वर्तमान में पिछले सात दशकों में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले आरबीआई गवर्नर के रूप में जाने जाते हैं.