Pop up Economy: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला चल रहा है। सभी संतो ने इस कुंभ को अमृत महाकुंभ भी कहा है, क्योकि यह 144 साल बाद समान संयोग में लगा है। देश ही नहीं बल्कि विदेशो से भी लोग महाकुंभ को नहाने आ रहे है। महाकुंभ एक सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन ही नहीं बल्कि इसका अपना एक आर्थिक महत्त्व भी है।

जैसा ही सब को पता है की यह मेला 45 दिनों तक चलेगा और यह एक सीधा सीधा 45 दिनों तक चलने वाली छोटी अर्थव्यस्था के बराबर है। उत्तर प्रदेश सरकार का अनुमान है इस महाकुंभ मेले में लगभग 40 करोड़ से भी ज्यादा लोगो के आने की सम्भावना है। इस आयोजन की भव्यता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है की यूपी सरकार ने मेला परिसर को ही एक नया जिला घोषित कर दिया है।

7,721.5 करोड़ रुपये का बजट है इस महाकुंभ का

सरकार ने इस मेले की तैयारी बहुत ही जोर शोर से की थी। वित्त वर्ष 2022-23 में कुंभ मेले के लिए 621.5 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे। जबकि वित्त वर्ष 2023-2024 के बजट में महाकुंभ के लिए यह 2500 करोड़ रुपये कर दिया गया था। वित्त वर्ष 2024-2025 के बजट में 2500 करोड़ रुपये का बजट सैंक्शन किया गया, जबकि केंद्र सरकार ने 2100 करोड़ रुपये का विशेष अनुदान देकर इसे 7,721.5 करोड़ रुपये का बना दिया है। तो इस तरह से हम कह सकते है की महाकुंभ मेला उत्तर प्रदेश के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए ही पॉप-अप इकॉनमी के रूप में काम कर रहा है।

Mahakumbh Is Pop Up Economy

क्या है Pop up Economy?

Pop up Economy एक प्रकार से एक ऐसा मॉडल है, जिस पर कम समय के लिए व्यावसायिक गतिविधियों, रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा मिले। दूसरे शब्दों में कहे तो जब भी छोटे समय के लिए किसी एक विशेष स्थान पर होने वाले किसी आयोजन पर आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी हो, वही पॉप-अप इकॉनमी कहलाती है।

महाकुंभ क्यों बना Pop up Economy

Pop up Economy: 45 दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ मेले में भरी-भरकम ट्रेड होने की पूरी सम्भावना है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अनुसार, महाकुंभ मेले में 2 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का ट्रेड होने की सम्भावना है। साथ ही रेलवे, एयर ट्रांसपोर्ट और सड़क परिवहन को भी बड़ी कमाई हो रही है। होटल, गेस्ट हाउस, अस्थायी निवास, फूड, हेल्थकेयर, धार्मिक सामग्री के साथ साथ अन्य दूसरी चीज़ो पर भी अछि खासी कमाई हो रही है।

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