देश में बढ़ते Road Accidents को लेकर सरकार काफी सतर्क है और इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं। सड़क पर वाहन चलाने के लिए Driving License पूरी तरह अनिवार्य है। हालांकि, इसको लेकर भी अलग-अलग तरह के नियम है।
हालांकि, तमाम लोगों के मन में यह सवाल होता है कि अगर किसी को Color Blindness है तो क्या उसका भी ड्राइविंग लाइसेंस बन सकता है। हम आपको इस आर्टिकल में इसी के बारे में पूरी डिटेल बताने वाले हैं कि कलर ब्लाइंडनेस क्या होता है और क्या इसके होते हुए भी DL बन सकता है।
जानिए क्या है समस्या
Color Blindness एक तरह की समस्या है, जिसमें किसी व्यक्ति को कुछ खास रंगों को पहचानने में काफी दिक्कत होती है। जैसे कि इससे पीड़ित व्यक्ति लाल या हरे रंगे में फर्क नहीं कर पाता है। यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक प्रकार की समस्या है।
ये है नियम
Color Blindness वाले व्यक्तियों के ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर मोटर व्हीकल एक्ट और केंद्रीय मोटर वाहन नियमों द्वारा रूल तय किए गए हैं। इनके मुताबिक, ड्राइविंग लाइसेंस उन्हीं लोगों का बन सकता है, जिनका विजन इस हद तक ठीक हो कि वह सड़क पर आने वाली गाड़ियों को ठीक से देख सकें और समझ सकें।
नियम के मुताबिक, कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित लोगों को लर्नर लाइसेंस और परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस दिया जा सकता है। हालांकि, यह तभी किया जाता है, जब उनका सामान्य विजन पूरी तरह ठीक हो। हालांकि, अगर किसी व्यक्ति को कलर पहचानने में दिक्कत होती है यानी कि वह रोड साइन, कार, पैदल यात्री या फिर ट्रैफिक लाइट को सही से देख सकता है तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया जा सकता है।
Color Blindness का Medical Certificate भी है जरूरी
Color Blindness से पीड़ित व्यक्तियों को ट्रैफिक लाइट्स और कलर बेस्ड संकेतों की पहचान करने में भी काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। हालांकि, आजकल के ट्रैफिक सिस्टम में कलर के साथ शेप, स्थिति और साउंड इंडिकेशन होते हैं, ऐसे में इस समस्या से पीड़ित लोगों को काफी आसानी होती है।
हालांकि, भारी वाहन चलाने के लिए ऐसे लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में काफी समस्या होती है, ऐसे मामलों में मेडिकल सर्टिफिकेट पूरी तरह अनिवार्य है। इसके बिना DL नहीं बनाया जाता है। मोटर व्हीकल एक्ट नियमों के मुताबिक, हल्के से मध्यम स्तर के कलर ब्लाइंड ब्लाइंड व्यक्ति को वाहन चलाने के लिए डीएम जारी किया जा सकता है।
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