पाकिस्तान अपनी डूबती Economy को मजबूत करने के लिए भारत की नकल करने की कोशिश कर रहा है और Cashless Economy की ओर बढ़ने की योजना बना रहा है। पाकिस्तानी मीडिया डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बजट पूर्व चर्चा के दौरान पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने डिजिटलीकरण के जरिए वेतनभोगी वर्ग और संगठित क्षेत्र से कर का बोझ अन्य पर डालने का वादा किया है।
Cashless Economy बनाने की तैयारी
साथ ही, Cashless Economy को और आगे बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। पाकिस्तान में वित्त वर्ष 2025-26 का बजट 2 जून को पेश किया जा सकता है। इसके चलते पड़ोसी देश में उद्योगों और हितधारकों के साथ बजट पूर्व चर्चाओं का दौर चल रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी सरकार असंगठित क्षेत्र में डिजिटलीकरण को बढ़ाना चाहती है। इसके लिए वह भारत की तरह नकद लेनदेन पर टैक्स और डिजिटल भुगतान पर प्रोत्साहन के साथ-साथ कुछ क्षेत्रों में नकद भुगतान को रोकने के प्रस्तावों पर काम कर रही है।
लगातार खराब हो रही अर्थव्यवस्था
इनमें से कुछ को अंतिम रूप दिया जा चुका है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत लगातार खराब बनी हुई है। अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वह फिर से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज की गुहार लगा रहा है। मई 2025 में आईएमएफ ने विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) के तहत पड़ोसी देश को एक अरब डॉलर का कर्ज दिया था।
पाकिस्तान का विदेशी कर्ज 133 अरब डॉलर से अधिक हो गया है, जो उसकी अर्थव्यवस्था का एक तिहाई है और सरकार की आय का 43 प्रतिशत से अधिक हिस्सा ब्याज भुगतान में जा रहा है। दूसरी ओर, भारत 4 ट्रिलियन डॉलर की Economy के साथ पाकिस्तान से मीलों आगे है।
भारत ने बनाया मुकाम
भारत में डिजिटल इकोसिस्टम पूरी तरह विकसित हो चुका है। अकेले यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए लेन-देन की संख्या अप्रैल में साल-दर-साल 34 प्रतिशत बढ़कर 17.89 अरब हो गई और इन लेन-देन का मूल्य 23.95 लाख करोड़ रुपये रहा। यूपीआई के जरिए न केवल भारत बल्कि भूटान, मलेशिया, यूएई, सिंगापुर, ओमान, कतर, रूस, फ्रांस, श्रीलंका और मॉरीशस में भी भुगतान किया जा सकता है।
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