यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) इकोसिस्टम छोटे लेन-देन को यूपीआई लाइट में स्थानांतरित करने की योजना बना रहा है। यह कदम यूपीआई पर तकनीकी रुकावटों और लेन-देन की विफलताओं को कम करने के लिए उठाया जा रहा है। बैंकों और फिनटेक कंपनियों द्वारा लगातार अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के बावजूद, पीक आवर्स में सर्वर पर बढ़ते दबाव को संभालना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।

UPI LITE के लिए छोटे लेन-देन के लिए समाधान

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के सीईओ दिलीप आसबे ने हाल ही में 11वें एसबीआई बैंकिंग ऐंड इकनॉमिक कॉन्क्लेव 2024 में कहा कि यूपीआई लाइट छोटे लेन-देन को आसान और सुगम बनाने का माध्यम बन सकता है। उन्होंने बताया कि 2016 में जहां यूपीआई लेन-देन की विफलता दर 8-10% थी, वह अब 2024 में घटकर 0.7% से भी कम हो गई है।

UPI Lite के जरिए उपयोगकर्ता बिना यूपीआई पिन के कम मूल्य के लेन-देन कर सकते हैं। इससे बैंक की कोर बैंकिंग प्रणाली पर दबाव कम होगा और तकनीकी बाधाएं दूर होंगी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी अक्टूबर 2024 में यूपीआई लाइट वॉलेट की सीमा को बढ़ाते हुए इसे प्रति लेन-देन 1,000 रुपये और कुल वॉलेट सीमा 5,000 रुपये तक कर दिया था।

तेजी से बढ़ रहा यूपीआई का दायरा

भारत में वर्तमान में 40 करोड़ से अधिक लोग UPI का उपयोग कर रहे हैं, जिससे यह देश के सबसे पसंदीदा डिजिटल भुगतान माध्यमों में शामिल हो गया है। बैंकों द्वारा लगातार बुनियादी ढांचे में सुधार और यूपीआई लाइट जैसे उपाय इन लेन-देन को और अधिक निर्बाध बनाने में सहायक होंगे।

हालांकि, शून्य मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) के चलते बैंकों पर अतिरिक्त लागत का बोझ बढ़ा है। इसके बावजूद बैंक और फिनटेक कंपनियां पीक आवर्स में भी लेन-देन को सुचारू बनाए रखने के लिए पूरी क्षमता से कार्यरत हैं।

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