शोधकर्ताओं ने एक नया उपकरण बनाया है जो किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण करेगा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके यह निर्धारित करेगा कि भविष्य में उस व्यक्ति को टाइप 1 Diabetes होने का कितना जोखिम है। वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह उपकरण बनाया है। यह उपकरण न केवल टाइप 1 Diabetes होने के जोखिम का आकलन करता है, बल्कि यह भी अनुमान लगा सकता है कि किसी व्यक्ति का शरीर बीमारी के उपचार के प्रति कैसी प्रतिक्रिया देगा।

Diabetes के जोखिम का करता है खुलासा

यह उपकरण 'डायनेमिक रिस्क स्कोर' (DRS4C) का उपयोग करता है, जो बताता है कि किसी व्यक्ति को टाइप 1 Diabetes है या नहीं। यह उपकरण माइक्रोआरएनए पर आधारित है। इसमें रक्त से मापे गए आरएनए के बहुत छोटे टुकड़े होते हैं, जो टाइप 1 Diabetes के जोखिम का पता लगाने में मदद करते हैं।

इन बच्चों को ज्यादा खतरा

यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन और ट्रांसलेशनल हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर आनंद हार्डिकर ने कहा कि टाइप 1 मधुमेह के जोखिम को पहले से जानना बहुत जरूरी है। क्योंकि अब ऐसी दवाएं उपलब्ध हैं जो बीमारी के बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती हैं। खास तौर पर 10 साल की उम्र से पहले निदान किए गए बच्चों में यह बीमारी बहुत तेजी से बढ़ती है और लोगों की जीवन प्रत्याशा को लगभग 16 साल तक कम कर सकती है। इसलिए, डॉक्टरों के लिए बीमारी का समय पर पता लगाना महत्वपूर्ण है।

भारत जैसे बहुत से देशों के लगभग 6 हजार लोगों के नमूने लेकर इसके बाद शोधकर्ताओं ने यह देखने के लिए 662 और लोगों पर इसका परीक्षण किया कि स्कोर ठीक से काम कर रहा है या नहीं। उपचार शुरू करने के ठीक एक घंटे बाद, स्कोर ने भविष्यवाणी की कि टाइप 1 Diabetes वाले कौन से लोग इंसुलिन के बिना ठीक हो पाएंगे।

कैसे किया गया अलग

यह केवल टाइप 1 मधुमेह के जोखिम और दवाओं के प्रभाव को जानने तक ही सीमित नहीं है। विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन और ट्रांसलेशनल हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट की प्रमुख शोधकर्ता डॉ. मुग्धा जोगलेकर ने दो प्रकार के जोखिम के संकेतों के बीच अंतर को समझाया - आनुवंशिक जोखिम मार्कर और गतिशील जोखिम मार्कर। आनुवंशिक जोखिम मार्कर का मतलब जीन से संकेत है। गतिशील जोखिम मार्कर का मतलब ऐसे संकेत हैं जो समय के साथ बदलते रहते हैं।

डॉ. जोगलेकर ने कहा कि आनुवांशिक परीक्षण केवल पुरानी या स्थिर जानकारी देता है, जबकि गतिशील जोखिम मार्कर समय-समय पर बीमारी के जोखिम को बेहतर तरीके से समझने में मदद करते हैं।

यह भी पढ़ेंः-RBI का Repo Rate में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का ऐलान, जानिए कितनी कम हो जाएगी आपके Loan की EMI