सरकार ने टेलीकॉम एक्ट के तहत कुछ नए नियम लागू करने की तैयारी कर ली है। इन्हें “राइट ऑफ वे (RoW)” नियमों का नाम दिया गया है, जो 5G टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने और तेज़ नेटवर्क सुविधाएं प्रदान करने पर केंद्रित हैं। नए नियमों को सभी राज्यों में लागू करने के निर्देश दिए गए हैं, और DoT सचिव नीरज मित्तल ने राज्यों को इसे समय पर लागू करने का आदेश दिया है।

क्या है RoW नियम और क्यों है ज़रूरी?

राइट ऑफ वे (RoW) नियम का सीधा संबंध टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे टॉवर और ऑप्टिकल फाइबर की स्थापना से है। इन नियमों के तहत सार्वजनिक और निजी संपत्तियों पर टेलीकॉम सुविधाएं स्थापित करने के मानक तय किए जाते हैं। यह न केवल पारदर्शिता और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि तेज़ और विश्वसनीय नेटवर्क सेवाओं का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

1 जनवरी 2025 से लागू होने वाले इन नियमों के तहत राज्यों को अधिक अधिकार दिए जाएंगे, जिससे वे अपने स्तर पर मामलों का समाधान कर सकें। इसके अलावा, मौजूदा नियम 2024 तक जारी रहेंगे और इसके बाद नए मानकों के तहत काम किया जाएगा।

5G नेटवर्क को मिलेगा बढ़ावा

RoW के नए नियम विशेष रूप से 5G नेटवर्क पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस तकनीक को लागू करने के लिए बड़े पैमाने पर टॉवर और ऑप्टिकल फाइबर स्थापित किए जाएंगे। तेज़ नेटवर्क की आवश्यकता को देखते हुए राज्यों को इसे प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं।

DoT सचिव ने सभी राज्यों को 30 नवंबर तक नियम लागू करने की तैयारी पूरी करने को कहा है, ताकि 1 जनवरी 2025 से इसे प्रभावी रूप से लागू किया जा सके। नए नियमों से टेलीकॉम ऑपरेटर्स और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स को भी बड़ा समर्थन मिलेगा।

राज्यों को मिलेंगे नए अधिकार

नए RoW नियम राज्यों को ज्यादा अधिकार और ज़िम्मेदारी देंगे। अब राज्य खुद इस प्रक्रिया को सरल और तेज़ बना सकेंगे। साथ ही, प्रॉपर्टी मालिक और टेलीकॉम कंपनियां पारदर्शी और सुरक्षित तरीकों से इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित कर सकेंगी।

सरकार का मानना है कि इन बदलावों से न केवल 5G का विस्तार तेज़ होगा, बल्कि टेलीकॉम सेक्टर में निवेश और विकास के नए रास्ते भी खुलेंगे। यह कदम भारत को डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में और मजबूत बनाएगा।

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