रेलवे स्टेशन पर अक्सर सुनी जाने वाली सधी हुई महिला आवाज़, जो ट्रेन के प्लेटफॉर्म और समय की जानकारी देती है, क्या कभी आपने सोचा है कि यह आवाज किसकी है? हैरानी की बात यह है कि यह आवाज किसी महिला की नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के 24 वर्षीय श्रवण अडोडे की है।
मिमिक्री से शुरू हुआ श्रवण का सफर
पाली, महाराष्ट्र के रहने वाले श्रवण अडोडे को मिमिक्री का शौक बचपन से था। स्कूल और दोस्तों के बीच वह अक्सर महिला आवाजों की नकल करते थे। पहले लोग उनकी इस आदत पर हंसते थे, लेकिन श्रवण ने इसे अपनी ताकत बना लिया। वह रेलवे प्लेटफॉर्म पर अनाउंसमेंट करने वाली महिला की आवाज हूबहू कॉपी कर लेते थे। इस हुनर ने उन्हें ऐसी पहचान दिलाई कि आज वह रेलवे के अनाउंसमेंट सिस्टम का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं।
रेलवे प्लेटफॉर्म पर सुनाई देने वाली आवाज पहले सरला चौधरी की थी, लेकिन तकनीकी खामियों और लास्ट मिनट चेंज के कारण मैन्युअल अनाउंसमेंट की जरूरत बढ़ने लगी। ऐसे में श्रवण ने अपने हुनर से सभी का ध्यान खींचा। उनकी मिमिक्री इतनी सटीक थी कि रेलवे ने उन्हें पहले कंसल्टेंट के तौर पर काम दिया और उनकी आवाज में बेसिक मैसेज रिकॉर्ड कराया। बाद में इसे अलग-अलग ट्रेनों और स्टेशनों के नाम के साथ मिक्स करके प्ले किया गया।
रेलवे ने बनाया स्थायी कर्मचारी
श्रवण की आवाज इतनी असली लगती है कि कोई यह अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि यह किसी महिला की नहीं, बल्कि पुरुष की आवाज है। उनकी मेहनत और प्रतिभा को देखते हुए रेलवे ने उन्हें स्थायी कर्मचारी बना दिया। अब श्रवण की आवाज में ट्रेनों और प्लेटफॉर्म से जुड़ी घोषणाएं होती हैं।
श्रवण अडोडे का यह सफर बताता है कि शौक और जुनून से करियर बनाया जा सकता है। मिमिक्री को गंभीरता से लेकर उन्होंने खुद को साबित किया और अपनी अनूठी प्रतिभा से एक नई राह बनाई। उनकी कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपनी कला को पहचानकर उसे अपना करियर बनाना चाहते हैं।
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