IRCTC (भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम) ने प्राइवेट ट्रेनों के लेट होने पर यात्रियों को हर्जाना देने की योजना को बंद कर दिया है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत इस बात का खुलासा हुआ है। IRCTC ने इस फैसले के पीछे का कारण गोपनीयता नीति का हवाला देकर बताने से इनकार किया है।

हर्जाना योजना का उद्देश्य और बंद करने की तारीख

आईआरसीटीसी ने यह योजना यात्रियों को प्राइवेट ट्रेनों की ओर आकर्षित करने के लिए शुरू की थी। इसके तहत ट्रेन की देरी के अनुसार यात्रियों को 100 रुपये से 250 रुपये तक हर्जाना दिया जाता था। हालांकि, 15 फरवरी 2024 को इस योजना को बंद कर दिया गया। इस निर्णय के पीछे के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया गया है।

हर्जाने की राशि और आंकड़े

आईआरसीटीसी ने 2019 से अब तक यात्रियों को हर्जाने के रूप में कुल 26 लाख रुपये प्रदान किए हैं।

2019-20: 1.78 लाख रुपये

2020-21: शून्य (कोविड-19 के कारण ट्रेनों का संचालन प्रभावित)

2021-22: 96 हजार रुपये

2022-23: 7.74 लाख रुपये

2023-24: 15.65 लाख रुपये

तेजस ट्रेनों का संचालन और सुविधाएं

आईआरसीटीसी फिलहाल दो प्राइवेट ट्रेनों, नई दिल्ली-लखनऊ (चार अक्टूबर 2019 से) और अहमदाबाद-मुंबई (17 जनवरी 2020 से), का संचालन करता है। इन ट्रेनों में विलंब की स्थिति में यात्रियों को भोजन और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती थीं। इसके अलावा, ट्रेन रद्द होने पर पूरा किराया वापस किया जाता था।

IRCTC की योजना बंद होने का असर

विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना यात्रियों को आकर्षित करने में सहायक रही। हालांकि, इसे अचानक बंद करना यात्रियों के विश्वास को प्रभावित कर सकता है। IRCTC के इस कदम को मार्केटिंग रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया था।

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