जुलाई से सितंबर 2024 की दूसरी तिमाही में भारत की GDP वृद्धि दर घटकर 5.4% पर पहुंच गई, जो पिछले दो वर्षों में सबसे कम है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की इसी अवधि में 8.1% और पहली तिमाही के 6.7% की तुलना में काफी नीचे है। विशेषज्ञों का मानना है कि उपभोक्ता खपत में गिरावट, मानसून की अनियमितता और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की धीमी गति इसके प्रमुख कारण हैं।
GDP में सर्विस सेक्टर का प्रदर्शन और निजी खपत में कमी
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि केवल 2.2% रही, जबकि खनन और उत्खनन क्षेत्र में 0.1% की गिरावट दर्ज हुई। दूसरी ओर, कृषि क्षेत्र में 3.5% की सकारात्मक वृद्धि देखी गई, जो पिछली चार तिमाहियों के खराब प्रदर्शन के बाद राहत देने वाली है। निर्माण क्षेत्र ने 7.7% की वृद्धि दर्ज की, जो स्टील की बढ़ी खपत का परिणाम है।
सर्विस सेक्टर ने 7.1% की वृद्धि दर दर्ज की, जिसमें ट्रेड, होटल और ट्रांसपोर्ट जैसे क्षेत्रों ने योगदान दिया। हालांकि, निजी खपत में गिरावट GDP के धीमे प्रदर्शन का मुख्य कारण बनी। बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति और ऊंची ब्याज दरों ने उपभोक्ता खर्च पर असर डाला। खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति अक्टूबर में 10.87% तक पहुंच गई, जिससे लोगों की क्रय शक्ति प्रभावित हुई।
वैश्विक तुलना और सरकारी खर्च की भूमिका
भारत की GDP वृद्धि दर भले ही घटी हो, लेकिन यह अभी भी चीन की 4.6% वृद्धि दर से बेहतर है। हालांकि, सरकारी खर्च में कटौती और मानसून के व्यवधानों ने विकास दर पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
आर्थिक विशेषज्ञों को उम्मीद है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सुधार संभव है। चुनावों के बाद सरकारी खर्च में संभावित बढ़ोतरी, ग्रामीण मांग में सुधार और फेस्टिवल सीजन में उपभोक्ता खर्च के बढ़ने से अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिल सकती है। RBI ने चालू वित्त वर्ष में GDP वृद्धि दर 7.2% रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि, मुद्रास्फीति के दबाव को देखते हुए केंद्रीय बैंक ने नीतिगत रुख में बदलाव नहीं किया है। वैश्विक मांग में सुधार और निवेश योजनाओं के पुनर्जीवित होने से दूसरी छमाही में उम्मीद की किरण दिख रही है।
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