भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में जानकारी दी है कि 20 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 8.48 अरब डॉलर घटकर 644.39 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। यह लगातार दूसरी बार है जब भंडार में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। इससे पहले के सप्ताह में भी 1.99 अरब डॉलर की कमी आई थी, जिससे भंडार छह महीने के निचले स्तर 652.87 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।
RBI का हस्तक्षेप और मूल्यांकन
RBI ने विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप और मूल्यांकन में हुए परिवर्तनों को इस गिरावट का प्रमुख कारण बताया है। सितंबर 2024 में यह भंडार अपने उच्चतम स्तर 704.88 अरब डॉलर पर था। हालांकि, रुपये के उतार-चढ़ाव को स्थिर करने के प्रयासों ने भंडार पर दबाव डाला है।
20 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा, यानी फॉरेन करेंसी ऐसेट्स, 6.01 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 556.56 अरब डॉलर पर आ गया। इन आंकड़ों में डॉलर के साथ-साथ यूरो, पाउंड और येन जैसी अन्य मुद्राओं के उतार-चढ़ाव का प्रभाव भी शामिल है।
सोने और एसडीआर भंडार में कमी
सोने के भंडार (गोल्ड रिजर्व) में भी 2.33 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे इसका मूल्य 65.73 अरब डॉलर रह गया है। विशेष आहरण अधिकार (SDR) में 11.2 करोड़ डॉलर की कमी आई, जो अब 17.88 अरब डॉलर पर है।
आईएमएफ भंडार पर भी असर
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास भारत का आरक्षित भंडार 2.3 करोड़ डॉलर घटकर 4.22 अरब डॉलर रह गया। यह गिरावट विदेशी मुद्रा भंडार पर व्यापक दबाव का संकेत देती है।
नए कदमों की आवश्यकता
संसद के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी, जहां वित्त मंत्रालय ने स्थिति को स्थिर रखने के लिए जरूरी कदम उठाने की बात कही थी। हालांकि, मौजूदा गिरावट को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी निवेश बढ़ाने और रुपये को स्थिर रखने के लिए अधिक प्रभावी नीतियों की जरूरत है।
सितंबर में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे भंडार के बाद अब यह गिरावट चिंता का विषय है। RBI और सरकार को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखा जा सके।
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