इस मैटेरियल की वजह से भारत में थम सकती है EV Production की रफ्तार, चीन ने लगाया पेंच

By Komal |

16 Jun 2025, 10:21 PM

चीन द्वारा Rare Earth Magnets की सप्लाई को बाधित किए जाने से भारत के इलेक्ट्रिक व्हीकल प्रोडक्शन (EV) पर खतरा मंडराने लगा है। लाइसेंस न मिलने की वजह से कंपनियों को इस मैटेरियल की शिपमेंट नहीं मिल पा रही है। देश की दिग्गज कंपनियों बोस्च इंडिया, टीवीएस मोटर, यूनो इंडिया और मरेली पावरट्रेन को लाइसेंस की मंजूरी का इंतजार है।

Rare Earth Magnets: इंतजार में 21 कंपनियां

Rare Earth Magnets को लेकर लाइसेंस की मंजूरी लेने के लिए पहले जहां 11 कंपनियां लाइन में थी, वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 21 हो गई है। इन कंपनियों को मैटेरियल की शिपमेंट न मिलने से न सिर्फ सप्लाई चेन बाधित हो रही है, बल्कि EV Production पर भी काफी गहरा असर पड़ रहा है।

क्यों भरोसेमंद है ये मैटेरियल

इलेक्ट्रिक वाहनों के मोटर, ब्रेक सिस्टम और पावरट्रेन में Rare Earth Magnets का इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि इसके 90% प्रोडक्शन पर चीन का कब्जा है, ऐसे में भारत समेत दुनिया के सभी देश इसके लिए चीन पर निर्भर हैं। इसकी सप्लाई न मिलने से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन ठप पड़ सकता है। इससे देश के ईवी ट्रांजिशन और नेट जीरो गोल भी काफी प्रभावित हो सकता है।

नए नियम की वजह से बढ़ी मुश्किलें

Rare Earth Magnets को आयात करने के लिए 21 भारतीय कंपनियों ने लाइसेंस का आवेदन किया है। इसमें बोस्च इंडिया, टीवीएस मोटर, सोना काम्सटर, यूनो इंडिया और मरेली पावरट्रेन जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। सोना काम्सटर का आवेदन डाक्यूमेंट्री एरर की वजह से खारिज हो गया है लेकिन कंपनी ने दोबारा इसके लिए आवेदन किया था। दरअसल, 04 अप्रैल 2025 को चीन ने नय नियम के तहत मीडियम और हैवी रेयर अर्थ मैग्नेट के एक्सपोर्ट से पहले लाइसेंस को अनिवार्य कर दिया है।

कंपनियों को यह लाइसेंस तभी दिया जाएगा, जब खरीदने वाली कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि इसका इस्तेमाल मिलिट्री या डेस्ट्रक्टिव वेपन्स बनाने में नही किया जाएगा। इसको लेकर भारत सरकार ने चीन से बातचीत शुरू तो कर दी है लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा निकल कर सामने नहीं आया है।

यूरोप की कई कंपनियों को चीन ने लाइसेंस जारी भी कर दिया है लेकिन भारतीय कंपनियों को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। कहा जा रहा है कि भारत की 52 कंपनियां चीन से इस चुंबक का आयात करती हैं। अगर जल्द ही लाइसेंस नहीं मिला तो जुलाई तक इनका स्टॉक खत्म हो सकता है और EV Production रूक सकता है।