India-UK Free Trade Agreement: भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच हाल ही में हस्ताक्षरित व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) भारत की सेवा निर्यात क्षमता को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा। वर्तमान में, भारत का यूके को सेवा निर्यात 19.8 बिलियन डॉलर का है। इस समझौते से इसमें और वृद्धि होने का वादा किया गया है।
India-UK Free Trade Agreement: पेशेवरों को मिली सुविधा
India-UK Free Trade Agreement न केवल वस्तुओं के व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), स्वास्थ्य, वित्त और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में पेशेवरों की आवाजाही को भी सुगम बनाएगा। सीईटीए अनुबंध-आधारित सेवा प्रदाताओं, व्यावसायिक आगंतुकों, कंपनी के भीतर स्थानांतरित होने वाले कर्मचारियों और स्वतंत्र पेशेवरों (जैसे योग प्रशिक्षक, रसोइये और संगीतकार) के लिए यूके में प्रवेश प्रक्रिया को सरल बनाता है।
करोड़ो रुपए की होगी बचत
हर साल 1,800 भारतीय शेफ, योग प्रशिक्षक और शास्त्रीय संगीतकारों को ब्रिटेन में काम करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा, डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन (DCC) एक बड़ा कदम है, जो ब्रिटेन में अस्थायी रूप से काम कर रहे 75,000 भारतीय कर्मचारियों और 900 से ज़्यादा कंपनियों को तीन साल के लिए ब्रिटेन के सामाजिक सुरक्षा अंशदान से छूट देगा। इससे 4,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की बचत होगी।
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
India-UK Free Trade Agreement आईटी, वित्तीय और व्यावसायिक सेवाओं, व्यावसायिक परामर्श, शिक्षा, दूरसंचार, वास्तुकला और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों को कवर करता है, जिससे उच्च-मूल्य वाले अवसर और रोज़गार सृजन होंगे। इस समझौते से लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), स्टार्टअप्स, किसानों और कारीगरों को भी लाभ होगा। भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, यह समझौता इन क्षेत्रों में गहन बाज़ार पहुँच को सुगम बनाएगा।
व्यापार को बढ़ावा
सीईटीए उत्पादों के मूल स्थान के प्रमाणीकरण को भी सरल बनाता है। निर्यातक अब स्वयं प्रमाणीकरण कर सकते हैं, जिससे समय और कागजी कार्रवाई कम हो जाएगी। 1,000 पाउंड से कम मूल्य की छोटी खेपों के लिए मूल स्थान के दस्तावेज़ों की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे ई-कॉमर्स और छोटे व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा। उत्पाद-विशिष्ट मूल स्थान नियम (पीएसआर) कपड़ा, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स और प्रसंस्कृत खाद्य जैसे क्षेत्रों में भारत की आपूर्ति श्रृंखला के अनुरूप बनाए गए हैं।
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दोगुने लाभ का लक्ष्य
भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार पहले ही 56 अरब डॉलर तक पहुँच चुका है और India-UK Free Trade Agreement का लक्ष्य 2030 तक इसे दोगुना करना है। भारत के 99 प्रतिशत निर्यात को ब्रिटेन तक शुल्क-मुक्त पहुँच मिलेगी, जिसमें कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, रत्न एवं आभूषण और खिलौने जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा, इंजीनियरिंग, रसायन और ऑटोमोबाइल जैसे उच्च-विकासशील क्षेत्रों को भी लाभ होगा।
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