नई दिल्ली: Indigenous High Resolution India Forecasting System (BFS) लॉन्च की गई है। इससे बारिश का सटीक पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलेगी और किसी भी आपदा से होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकेगा। 'BFS' को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MOES) के तहत भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा लॉन्च किया गया है।

इस प्रणाली में 6 किमी रेजोल्यूशन के साथ पूर्वानुमान लगाने की क्षमता है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। यह प्रणाली मौसम विभाग को छोटे पैमाने पर मौसम की विशेषताओं का अधिक सटीक पूर्वानुमान लगाने में मदद करेगी।

जितेंद्र सिंह सोशल मीडिया पर दी जानकारी

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा की IMD की क्षमताओं में एक बड़ी छलांग; यह सफलता भारत को मौसम पूर्वानुमान में वैश्विक नेताओं में शामिल करती है। यह पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में हमारे उदय का गौरवपूर्ण संकेत है।"

BFS से मानसून ट्रैकिंग से हल होंगी बड़ी समस्याएं

यह अनूठी पूर्वानुमान प्रणाली संभावित नुकसान से बचने और संभावित लाभों को जोड़कर भारत की अर्थव्यवस्था को पूरक बनाएगी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस सिस्टम से मानसून ट्रैकिंग, विमानन, चक्रवात, आपदा प्रबंधन, कृषि, जलमार्ग, रक्षा, बाढ़ पूर्वानुमान को बढ़ावा मिलेगा। यह प्रमुख मंत्रालयों को सहायता भी प्रदान करेगा। इसकी खासियत यह है कि यह भारत की पंचायत स्तर की आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करता है और उन्हें पूरा करता है।

मोदी सरकार में बढ़ाए गए बजट से हुआ लाभ

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) पुणे द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित, 'BFS' 2022 से प्रयोग परीक्षण में था। इससे उत्पन्न डेटा ने मानसून, नाउकास्ट (अगले दो घंटों का पूर्वानुमान), अत्यधिक वर्षा की घटनाओं या चक्रवातों जैसी घटनाओं के आधार पर मौसम पूर्वानुमान की सटीकता को 30-64 प्रतिशत तक सुधारने में मदद की है। नई प्रणाली में बेहतर रिज़ॉल्यूशन और भौगोलिक कवरेज होगा। यह रिज़ॉल्यूशन भारत में अब तक इस्तेमाल किए जाने वाले पिछले 12-किमी ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (GFS) की तुलना में उन्नत है।

इसके अलावा, सिंह ने बताया कि कैसे पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बजट में वृद्धि की है। पत्रकारों से बात करते हुए सिंह ने कहा, "जब यह सरकार 2014-15 में सत्ता में आई थी, तब पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का कुल बजट केवल 400-500 करोड़ रुपये था। आज यह कई गुना बढ़ गया है।

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