भारत में निवेशक हमेशा से ही अपनी बचत को सुरक्षित और लाभकारी बनाने के लिए कई वित्तीय विकल्पों का सहारा लेते हैं. इनमें से एक प्रमुख विकल्प है बैंक FD (फिक्स्ड डिपॉजिट). बैंक FD में निवेश करने से न केवल सुरक्षा मिलती हैं. बल्कि यह एक निश्चित रिटर्न भी प्रदान करता है. हालांकि अभी तक इनकम टैक्स पर भी ध्यान देना आवश्यक था. क्योंकि FD पर मिलने वाली ब्याज राशि पर टैक्स लगता था. लेकिन अब सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिससे लाखों निवेशकों को राहत मिलेगी.

क्या है इसका मतलब?

इनकम टैक्स एफडी छूट का मतलब है कि अब बैंक एफडी पर मिलने वाली ब्याज राशि पर टैक्स नहीं लगेगा. पहले, निवेशकों को एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता था, जो कई बार भारी पड़ता था. लेकिन इस छूट से अब उन निवेशकों को राहत मिलेगी, जो अपनी एफडी पर टैक्स की बड़ी रकम चुकाते थे.

इस कदम का उद्देश्य छोटे और मंझले निवेशकों को प्रोत्साहित करना है, ताकि वे अपनी बचत को सुरक्षित और लाभकारी तरीके से निवेश कर सकें. इसके द्वारा सरकार चाहती है कि अधिक लोग एफडी में निवेश करें और अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाएं. इस निर्णय से निवेशकों को न केवल टैक्स से राहत मिलेगी, बल्कि उन्हें अपने निवेश पर बेहतर रिटर्न भी प्राप्त होंगे.

कैसे मिलेगा इसका फायदा

मान लीजिए आपने 10 लाख रुपये की एफडी कराई और आपको 8 फीसदी का सालाना ब्‍याज मिल रहा है. 5 साल के लिए कराई गई इस एफडी पर आपको कुल मिलाकर 4 लाख रुपये का ब्‍याज मिला. मान लीजिए कि आप 30 फीसदी के इनकम टैक्‍स स्‍लैब में आते हैं तो एफडी के ब्‍याज पर 40 हजार रुपये तक कोई टैक्‍स नहीं लगता, उसके ऊपर आपको स्‍लैब के हिसाब से टैक्‍स देना होगा.

इसका मतलब हुआ कि आपको 3.60 लाख रुपये पर 30 फीसदी टैक्‍स देना होगा. इस तरह आपको 1 लाख 8 हजार रुपये सिर्फ टैक्‍स के रूप में चुकाने पड़ेंगे.

अगर इस पर एलटीसीजी लागू होता है तो आपको 12.5 फीसदी का एकमुश्‍त टैक्‍स देना पड़ेगा और कुल टैक्‍स महज 45 हजार रुपये होगा. इस तरह आपके करीब 63 हजार रुपये बचेंगे.

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