जापान की प्रमुख वाहन निर्माता कंपनियां Honda और Nissan ने लंबे समय से चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए सोमवार को अपने विलय की घोषणा की। इस ऐतिहासिक कदम में Nissan की सहयोगी कंपनी Mitsubishi Motors भी शामिल हो रही है। इस विलय का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) और स्वायत्त तकनीकों के बढ़ते बाजार में प्रतिस्पर्धा को मजबूत करना है।
Nissan और Honda का इलेक्ट्रिक युग में बढ़ते कदम
यह विलय ऐसे समय पर हुआ है जब ऑटोमोबाइल उद्योग पारंपरिक ईंधन वाहनों से हटकर इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। संयुक्त रूप से यह समूह हर साल लगभग 80 लाख गाड़ियां बनाएगा, जिससे यह बिक्री के आधार पर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन निर्माता बन जाएगा। यह समूह Toyota और Volkswagen के बाद तीसरे स्थान पर होगा, जबकि Tesla और चीनी EV निर्माताओं के साथ मुकाबले में भी यह बेहतर स्थिति में होगा।
विलय के बाद बनने वाली कंपनी का कुल मूल्य 50 बिलियन डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। Honda का वर्तमान मार्केट कैप 40 बिलियन डॉलर, Nissan का 10 बिलियन डॉलर, और Mitsubishi का थोड़ा कम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विलय तीनों कंपनियों को बाजार की चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगा और इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में उनकी स्थिति को मजबूत करेगा।
EV और स्वायत्त तकनीकों में साझा प्रयास
इस साल की शुरुआत में, इन कंपनियों ने EV के पुर्जों और स्वायत्त ड्राइविंग सॉफ़्टवेयर पर संयुक्त शोध की योजना बनाई थी। यह सहयोग तेजी से बदलते बाजार के साथ तालमेल बिठाने और EV निर्माताओं के बढ़ते दबदबे का मुकाबला करने के लिए किया जा रहा है। होंडा के प्रवक्ता ने कहा, "यह विलय हमें इलेक्ट्रिफिकेशन और स्वायत्त ड्राइविंग जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एकजुट होने का मौका देता है।"
यदि यह विलय अंतिम रूप लेता है, तो Honda-Nissan-Mitsubishi समूह Toyota, Volkswagen और Tesla जैसे दिग्गजों को चुनौती देने के लिए तैयार होगा। पिछले साल अकेले होंडा ने 4 मिलियन, Nissan ने 3.4 मिलियन और Mitsubishi ने 1 मिलियन वाहन बनाए। यह विलय न केवल उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक EV बाजार में जापानी निर्माताओं की भागीदारी को भी मजबूती देगा।
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