भारत की अर्थव्यवस्था अपनी मजबूती के नए अध्याय लिख रही है। घरेलू लेनदेन और कारोबार की बढ़ती रफ्तार ने GST संग्रह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में GST संग्रह 9.09% बढ़कर 16.33 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसके साथ ही औसत मासिक संग्रह 1.81 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले साल 1.66 लाख करोड़ रुपये था।
दिसंबर 2024: GST में मजबूत उछाल
दिसंबर महीने में घरेलू लेनदेन से GST संग्रह 8.4% बढ़कर 1.32 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयात से कर राजस्व 44,268 करोड़ रुपये तक पहुंचा। इस दौरान 22,490 करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया, जिससे शुद्ध GST संग्रह 1.54 लाख करोड़ रुपये दर्ज हुआ। राज्यवार आंकड़ों में उत्तर प्रदेश (8,117 करोड़ रुपये) और दिल्ली (5,593 करोड़ रुपये) का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा।
डिजिटल लेनदेन में यूपीआई ने अपनी लोकप्रियता को और मजबूत किया। दिसंबर 2024 में यूपीआई लेनदेन 8.07% बढ़कर 16.73 अरब हो गया, जबकि लेनदेन का कुल मूल्य 23.25 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया। पूरे वर्ष के दौरान 247 लाख करोड़ रुपये के 172 अरब यूपीआई लेनदेन ने 2023 के मुकाबले 46% की संख्या और 35% मूल्य वृद्धि हासिल की।
ईंधन और ऊर्जा क्षेत्र में जबरदस्त मांग
क्रिसमस और नए साल के जश्न ने ईंधन की बिक्री में नई ऊर्जा भरी। दिसंबर में पेट्रोल की बिक्री 9.8% बढ़कर 29.9 लाख टन और डीजल की बिक्री 4.9% बढ़कर 70.7 लाख टन हो गई। विमान ईंधन (एटीएफ) की मांग 6.8% बढ़कर 6.96 लाख टन पहुंची, जबकि रसोई गैस (एलपीजी) की खपत 5.2% बढ़कर 28.7 लाख टन दर्ज की गई।
दिसंबर में बिजली खपत भी 6% बढ़कर 130.40 अरब यूनिट हो गई। हीटर और गीजर जैसे उपकरणों के बढ़ते उपयोग ने इस खपत को नई ऊंचाई दी। सरकार का अनुमान है कि आने वाले गर्मियों में बिजली की मांग 270 गीगावाट तक पहुंच सकती है।
नई शुरुआत की ओर संकेत
चाहे जीएसटी संग्रह की नई ऊंचाई हो, यूपीआई का डिजिटल क्रांति में योगदान, या ऊर्जा क्षेत्र की बढ़ती मांग – ये आंकड़े भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का प्रतिबिंब हैं। देश विकास के पथ पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है, और यह रफ्तार आने वाले वर्षों में नए कीर्तिमान स्थापित करेगी।
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