जैसे-जैसे बजट 2025 की तारीख नजदीक आ रही है, मिडिल क्लास के मन में टैक्स से जुड़ी उम्मीदें और चिंताएं बढ़ रही हैं। इसी संदर्भ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिए एक इंटरव्यू में स्पष्टता से अपनी राय रखी। उन्होंने न केवल टैक्स सिस्टम को सरल बनाने के सरकारी प्रयासों पर प्रकाश डाला, बल्कि मिडिल क्लास से अपनी भावनात्मक जुड़ाव भी जाहिर किया।

नए टैक्स सिस्टम पर नजर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नए टैक्स सिस्टम को लोगों की जरूरतों के मुताबिक डिजाइन किया गया है। इसमें कम टैक्स दरें और सीमित छूट शामिल हैं, ताकि प्रक्रिया को सरल और सहज बनाया जा सके। उन्होंने कहा, "लोगों ने मांग की थी कि उन्हें छूट की बजाय सीधा और स्पष्ट टैक्स सिस्टम चाहिए। इसी आधार पर हमने इसे लागू किया। लेकिन मैं इससे भी ज्यादा करना चाहती हूं, हालांकि, हर सरकार की अपनी सीमाएं होती हैं।"

जीएसटी को लेकर मिडिल क्लास में कई सवाल उठते रहे हैं। इस पर सफाई देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "यह धारणा कि जीएसटी ने रोजमर्रा की चीजों पर पहली बार टैक्स लगाया, बिल्कुल गलत है। इससे पहले भी राज्यों में वैट और एक्साइज के जरिए ये टैक्स वसूला जाता था। जीएसटी ने सिर्फ अलग-अलग टैक्स दरों को एक समान किया है, ताकि हर राज्य में समानता बनी रहे।"उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "पहले गाड़ी खरीदना कुछ राज्यों में सस्ता और कुछ में महंगा था। लेकिन अब जीएसटी की वजह से पूरे देश में एक ही दर लागू होती है।"

आर्थिक चुनौतियों के बीच राहत की उम्मीद

महंगाई और घटती आर्थिक विकास दर के बीच मिडिल क्लास को टैक्स में राहत की बड़ी उम्मीद है। ऐसी खबरें हैं कि सरकार 15 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वालों के लिए टैक्स दरें कम करने पर विचार कर रही है। अगर यह बदलाव होता है, तो लाखों शहरी टैक्सपेयर्स को इसका लाभ मिल सकता है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मिडिल क्लास से भावनात्मक जुड़ाव

निर्मला सीतारमण ने अपने मिडिल क्लास बैकग्राउंड का जिक्र करते हुए कहा, "मैं भी एक साधारण परिवार से आती हूं, जो पूरी तरह तनख्वाह पर निर्भर था। क्या आपको लगता है कि मैं इन चुनौतियों को नहीं समझती?" उन्होंने जीएसटी के फायदे गिनाते हुए कहा, "मैंने आंकड़े पेश किए हैं जो दिखाते हैं कि जीएसटी के बाद रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स दरें कम हुई हैं। यह मानना गलत है कि पहले ये चीजें टैक्स-फ्री थीं।"

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