Farming Tips: जनवरी का महीना यानी के नए साल की शुरुआत होने के साथ लोग काफी कुछ अपनी तय की हुई चीजों की ओर आगे बढ़ते हैं, लेकिन यह महीना कृषि के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है.

अगर आप इस महीने कुछ खास फसलों की खेती (Farming Tips) करते हैं तो आपको बहुत कम मेहनत ने ज्यादा मुनाफा मिलता है. मुख्य कारण ये है कि ठंड में इन फसलों के उपज काफी अच्छे से होती है जो आपको बंपर मुनाफा प्रदान करती है.

Farming Tips: गेहूं

गेहूं एक ऐसी फसल है जिनकी डिमांड सालों देखने को मिलती है, जिसके लिए अच्छी मिट्टी और सिंचाई की जरूरत होती है. नवंबर से जनवरी तक बुवाई का अच्छा समय माना जाता है, जहां गेहूं की खेती के लिए आपको दोमट मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी हो, उसकी आवश्यकता होती है.

तीन चार बार इसे हल्की सिंचाई की जरूरत होती है और आप नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश आधारित उर्वरकों का उपयोग इसके लिए कर सकते हैं.

आलू

जनवरी के ठंडे मौसम में आलू की खेती सबसे सही मानी जाती है, जिसकी डिमांड भी सालों देखने को मिलती है. अक्टूबर से जनवरी इसकी बुवाई के लिए सबसे सही समय माना जाता है, जिसके लिए हल्की रेतीली मिट्टी जिसमें पानी का जमाव न हो, उसकी आवश्यकता पड़ती है. हर 10 से 12 दिन पर इसकी सिंचाई करनी पड़ती है जिसके लिए आप जैविक खाद्द या पोटाश का उपयोग कर सकते हैं.

सरसों

खाना पकाने के लिए हर घर में सरसों के तेल का इस्तेमाल होता है, जिसकी खेती (Farming Tips) करने पर आपको बंपर मुनाफा मिल सकता है. कम पानी में इसकी अच्छी उपज होती है, जिसकी बुवाई का समय सितंबर से जनवरी के बीच माना जाता है.

आप दोमट या बलुई दोमट में इसकी खेती कर सकते हैं, जिसके लिए दो से तीन सिंचाई बहुत है. आप सल्फर और नाइट्रोजन का इस्तेमाल उर्वरक के तौर पर कर सकते हैं.

चना

चना की खेती ठंड और शुष्क मौसम में सबसे बेहतर होती है, जो प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है और बाजार में यह काफी महंगा भी बिकता है. नवंबर से जनवरी इसकी बुवाई का समय माना जाता है, जिसके लिए दोमट या हल्की मिट्टी की आवश्यकता होती है. अंकुरण के समय और फूल बनने के समय इसकी सिंचाई की आवश्यकता होती है, जिसके लिए आप जैविक खाद्द और पोटाश का इस्तेमाल कर सकते हैं.

गाजर

सब्जी और जूस बनाने के लिए गाजर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके (Farming Tips) लिए जनवरी का ठंडा मौसम बिल्कुल उपयुक्त है. अक्टूबर से जनवरी बुवाई का समय माना जाता है, जिसके लिए गहरी दोमट मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी हो, उसकी आवश्यकता पड़ती है. हर 7 से 10 दिन पर हल्की सिंचाई की जरूरत होती है. आप यहां नाइट्रोजन और जैविक खाद का इस्तेमाल कर सकते है.

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