साल 2024 में, जहां तमाम उम्मीदें और अनुरोध थे, RBI ने ब्याज दरों में किसी प्रकार की कटौती नहीं की। रेपो रेट को स्थिर रखते हुए, RBI ने महंगाई नियंत्रण को अपनी प्राथमिकता बनाए रखा। पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में कटौती के दबाव को दरकिनार करते हुए अर्थव्यवस्था की स्थिरता और महंगाई पर नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित किया। अब केंद्रीय बैंक की कमान संजय मल्होत्रा के हाथों में है। नए गवर्नर के नेतृत्व में फरवरी की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक पर सभी की नजरें हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या नए गवर्नर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में राहत देंगे।

शक्तिकांत दास की विरासत और नई चुनौतियां

शक्तिकांत दास ने अपने कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को कई मुश्किलों से उबारा। नोटबंदी के बाद की आर्थिक चुनौतियों से निपटते हुए उन्होंने कोविड-19 के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को न केवल स्थिर रखा बल्कि आगे बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई। उनकी नीतियों की बदौलत देश की मौद्रिक नीति कुशलतापूर्वक संचालित हुई। हालांकि, उनके कार्यकाल के अंतिम दौर में, देश की जीडीपी वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर पर आ गई, जिससे आर्थिक दबाव बढ़ा। अब नई जिम्मेदारियों के साथ, संजय मल्होत्रा को तय करना होगा कि महंगाई को प्राथमिकता देना जारी रखें या आर्थिक विकास को गति देने के लिए कदम उठाएं।

RBI की फरवरी में बैठक पर टिकी उम्मीदें

संजय मल्होत्रा की नियुक्ति के बाद फरवरी में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक का महत्व बढ़ गया है। विश्लेषकों का मानना है कि RBI के नए गवर्नर के आने से ब्याज दरों में कटौती की संभावना मजबूत हो सकती है। हालांकि, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के 2025 में मामूली ब्याज दर कटौती के संकेत और रुपये पर इसके असर ने सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन बनाना RBI के लिए बड़ी चुनौती होगी।

क्या 0.50% कटौती होगी प्रभावी?

मुद्रास्फीति के मौजूदा अनुमानों को देखते हुए 0.50 प्रतिशत की संभावित ब्याज दर कटौती की चर्चा हो रही है। लेकिन पर्यवेक्षक सवाल कर रहे हैं कि इतनी मामूली कटौती से क्या आर्थिक गतिविधियों में कोई महत्वपूर्ण सुधार हो सकेगा। नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के सामने अब यह चुनौती है कि वह आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए महंगाई पर अपने रुख में बदलाव करते हैं या नहीं। फरवरी की बैठक में आने वाले फैसले से न केवल जनता को राहत मिलने की उम्मीद है, बल्कि यह भी तय होगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था किस दिशा में आगे बढ़ेगी।

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