Digital Beggars : नया दौर, नई चुनौतियां! डिजिटल इंडिया की बदौलत देश के 95 करोड़ से ज़्यादा इंटरनेट यूज़र्स ऑनलाइन दुनिया से जुड़ चुके हैं। आज हर कोई घर बैठे या दफ्तर से अनगिनत सेवाओं का फायदा उठा रहा है। सस्ते इंटरनेट ने इस क्रांति को ज़बरदस्त रफ्तार दी है, और यूट्यूब, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट क्रिएटर्स की बाढ़ आ गई है। लेकिन, अब एक नया और चौंकाने वाला ट्रेंड सामने आया है, जो इंटरनेट पर 'डिजिटल भीख मांगने' का है।

Digital Beggars इंटरनेट पर : QR कोड के ज़रिए मांग रहे पैसे!

Digital Beggars : चौंकिए मत, ये बिल्कुल सच है! अब इंटरनेट के ज़रिए लोग पैसे मांग रहे हैं, और वो भी बिना किसी शारीरिक संपर्क के। आपको शायद यकीन न हो, लेकिन भिखारी अब यूट्यूब पर UPI QR कोड्स के ज़रिए भीख मांगते नज़र आ रहे हैं। ये एक बिल्कुल नया और तेज़ी से वायरल होता ट्रेंड है, जिसकी कहानी वाकई काफी दिलचस्प है।

Digital Beggars : हाल ही में X (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो तेज़ी से वायरल हुआ, जिसने सबको चौंका दिया। इस वीडियो में एक शख्स यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीमिंग कर रहा था। उसके सामने एक बड़ा-सा UPI QR कोड चमक रहा था। सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि वो शख्स कोई गाना, डांस या कॉमेडी जैसा कोई हुनर नहीं दिखा रहा था। बावजूद इसके, लोग उसे धड़ाधड़ ऑनलाइन पैसे भेज रहे थे! सिर्फ इसलिए कि वो लाइव था।

यह सिर्फ एक मामला नहीं है। यूट्यूब शॉर्ट्स पर ऐसी कई वीडियोज़ हैं, जहां लोग बिना किसी क्रिएटिव कंटेंट के, केवल UPI के ज़रिए पैसे कमा रहे हैं। X पर इस वीडियो को शेयर करने वाले अकाउंट के कमेंट्स में यूज़र्स ने बताया कि ऐसे कई अकाउंट्स यूट्यूब पर मौजूद हैं। एक यूज़र ने तो लिखा, "मैंने ऐसा पहले भी देखा है। एक शख्स पूरा दिन स्क्रीन के सामने बेकार बैठा रहता है और ₹50 रूम रेंट के लिए मांगता है। दिलचस्प बात ये है कि वो हर रोज़ UPI से ₹5,000 से ₹10,000 कमा लेता है।"

एक दूसरे यूज़र ने मज़ाक में कहा, "भाई, यूट्यूब पर ऐसे ढेरों अकाउंट्स हैं। एक बार तो मैंने 50 साल के अंकल का मीम देखा, जो UPSC प्रिपरेशन के लिए रूम रेंट मांग रहे थे!" एक और यूज़र ने अपनी हैरानी ज़ाहिर करते हुए लिखा, "अरे, ये तो शुरुआत है। कुछ लोग UPSC डोनेशन मांगते हैं, कुछ मेहंदी में नाम लिखवाने के लिए तो कुछ स्केच पेन से स्टाइलिश नाम लिखते हैं। पता नहीं ये वीडियो सबके रिकमेंडेशंस में कैसे आ जाते हैं!"

ऑफलाइन से ऑनलाइन: डिजिटल भिखारियों की बढ़ती संख्या।

यह ट्रेंड सिर्फ यूट्यूब तक ही सीमित नहीं है। ऑफलाइन भी 'डिजिटल भिखारी' सुर्खियां बटोर चुके हैं। साल 2024 में गुवाहाटी के एक नेत्रहीन भिखारी दशरथ का वीडियो वायरल हुआ था, जो अपने गले में PhonePe QR कोड लटकाकर भीख मांग रहे थे। कार में बैठे लोगों ने उनका QR कोड स्कैन करके 10 रुपये ट्रांसफर किए और दशरथ ने अपना फोन कान से लगाकर पेमेंट नोटिफिकेशन सुना।

इसी तरह, बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर रज्जू पटेल नाम के एक भिखारी ने QR कोड और टैबलेट का इस्तेमाल करके डिजिटल पेमेंट्स स्वीकार किए। रज्जू ने बताया कि इससे उनकी कमाई लगभग दोगुनी (रोज़ 300 रुपये) हो गई। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया कैंपेन से प्रेरणा लेने की बात कही थी।

क्या है इस ट्रेंड के पीछे? मदद से पहले इन बातों का रखें ख्याल।

डिजिटल इंडिया और UPI की शानदार सफलता ने छोटे वेंडर्स से लेकर अब भिखारियों तक को डिजिटल पेमेंट्स अपनाने का मौका दिया है। NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) के मुताबिक, मई 2024 में UPI ने 14 बिलियन ट्रांज़ैक्शन्स रिकॉर्ड किए, जो इसकी व्यापक पहुंच को दर्शाता है। सस्ते स्मार्टफोन्स (लगभग 750 मिलियन यूज़र्स) और बैंक अकाउंट्स (80% वयस्कों के पास) ने इस डिजिटल बदलाव को मुमकिन बनाया है।

लेकिन, इस ट्रेंड के कुछ गंभीर और 'डार्क साइड' भी हैं, जिन पर ध्यान देना ज़रूरी है:

स्कैम का खतरा: कुछ यूज़र्स का मानना है कि QR कोड स्कैन करने से आपका फोन नंबर लीक हो सकता है, जिसका इस्तेमाल माफिया या स्कैमर्स कर सकते हैं।
माफिया कनेक्शन: कई भिखारी ऑर्गनाइज़्ड गैंग्स का हिस्सा हो सकते हैं, जहां कमाई का एक बड़ा हिस्सा गैंग लीडर्स को जाता है, न कि ज़रूरतमंद को।

डेटा प्राइवेसी: चीन में QR कोड बेगिंग से यूज़र डेटा चोरी और WeChat ID बेचने जैसे मामले सामने आए हैं। भारत में भी ऐसा जोखिम हो सकता है।
इसलिए, किसी भी 'डिजिटल भिखारी' की मदद करने से पहले इन बातों का ज़रूर ध्यान रखें। आपकी दयालुता का दुरुपयोग न हो, यह सुनिश्चित करना आपकी भी ज़िम्मेदारी है।

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