Digital Arrest Scam : साइबर अपराधी आज तकनीक का फायदा उठाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इनमें 'डिजिटल अरेस्ट स्कैम' तेजी से फैल रहा है, जहां जालसाज खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को ठगते हैं। यह धोखाधड़ी डर और दबाव का इस्तेमाल कर लाखों रुपये ऐंठती है। हाल ही में कर्नाटक में एक महिला के साथ हुई 3.16 करोड़ रुपये की ठगी इसका एक डरावना उदाहरण है।

Digital Arrest Scam : क्या है 'डिजिटल अरेस्ट स्कैम' का मकड़जाल?

'डिजिटल अरेस्ट स्कैम’ एक चालाक साइबर धोखाधड़ी है, जिसमें जालसाज खुद को पुलिस, सीबीआई, ईडी या एनसीआरपी जैसे सरकारी संस्थानों का प्रतिनिधि बताकर लोगों को भ्रमित करते हैं। वे प्रतिष्ठित एजेंसियों की पहचान का दुरुपयोग कर पीड़ितों को डराने और उनसे धन ऐंठने की कोशिश करते हैं। इनका मकसद पीड़ितों को इतना डराना होता है कि वे बिना सोचे उनकी बात मान लें।

वे अक्सर वॉट्सऐप, स्काइप या अन्य वीडियो कॉलिंग ऐप्स के जरिए संपर्क करते हैं ताकि अपनी पहचान छुपा सकें और नकली माहौल बना सकें। वे दावा करते हैं कि पीड़ित या उनके किसी करीबी पर गंभीर आरोप लगे हैं, जैसे सिम कार्ड का अवैध इस्तेमाल, मनी लॉन्ड्रिंग, या कोई आपराधिक मामला।

इस धोखाधड़ी के दौरान जालसाज नकली पहचान पत्र और गिरफ्तारी वारंट जैसी दस्तावेज भी दिखाते हैं, ताकि पीड़ित को यह विश्वास दिलाया जा सके कि वे वास्तव में किसी सरकारी एजेंसी से जुड़े हैं और उनकी बातों में सच्चाई है।कई बार तो वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और एडिटेड वीडियो का इस्तेमाल कर पुलिस स्टेशन जैसा माहौल भी दिखाते हैं, जिससे पीड़ित पूरी तरह उनके झांसे में आ जाता है।

Digital Arrest Scam : कैसे बिछाया जाता है यह जाल?

इस धोखाधड़ी की शुरुआत एक सामान्य कॉल से होती है। कर्नाटक की महिला के मामले में, उसे एनसीआरपी अधिकारी बनकर कॉल किया गया और बताया गया कि उसके पति के नाम पर पंजीकृत सिम कार्ड का उपयोग अवैध गतिविधियों के लिए हो रहा है। यह सुनते ही कोई भी व्यक्ति घबरा जाएगा। इसके बाद, जालसाज धीरे-धीरे अपना शिकंजा कसना शुरू करते हैं।

एक के बाद एक कई लोग उसे फोन करते हैं, जिनमें से कोई खुद को पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बताता है और लगातार धमकाता रहता है। वे पीड़ित से उसकी व्यक्तिगत और बैंक संबंधी जानकारी मांगते हैं, यह झूठा आश्वासन देते हुए कि 'वेरिफिकेशन' के बाद पैसा वापस मिल जाएगा। अक्सर, वे तत्काल पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाते हैं, यह कहते हुए कि ऐसा करने से वे कानूनी कार्रवाई से बच जाएंगे।

10 जून से 27 जून के बीच, कर्नाटक की उस महिला ने डर के मारे अलग-अलग बैंक खातों में 3.16 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। जब उसने अंततः यह बात अपने बच्चों से साझा की, तब जाकर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। सच ही कहा गया है, 'जब जागो तभी सवेरा', लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

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Digital Arrest Scam : डिजिटल अरेस्ट स्कैम से बचाव के तरीके

साइबर अपराधों से बचने के लिए सतर्कता और जानकारी ही सबसे बड़ा हथियार है। यदि आपको कभी ऐसा कोई कॉल आता है, तो घबराएं नहीं। सबसे पहले तो शांत रहें और किसी भी तरह के दबाव में न आएं। कोई भी व्यक्तिगत या बैंकिंग जानकारी किसी के साथ साझा न करें

याद रखें, कोई भी सरकारी एजेंसी या बैंक कभी भी आपसे फोन पर आपकी संवेदनशील जानकारी नहीं माँगेगा। यदि आपको किसी भी प्रकार का संदेह होता है, तो तुरंत पुलिस या साइबर सेल में शिकायत करें। अगर आप साइबर धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं, तो तुरंत कार्रवाई करना बेहद जरूरी है।

इसके लिए आप राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर सकते हैं, जो गृह मंत्रालय द्वारा संचालित एक टोल-फ्री सेवा है। इसके अलावा, आप https://sancharsaathi.gov.in/sfc/ पर जाकर भी संदिग्ध कॉल, मैसेज या WhatsApp के जरिए हुई धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कर सकते हैं। याद रखें—जालसाज आपके डर का फायदा उठाते हैं, इसलिए घबराने की बजाय सतर्कता और समझदारी से कदम उठाना ही सबसे बेहतर उपाय है।

इन स्कैम से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप किसी भी अनजान कॉल पर आंख मूंदकर भरोसा न करें, खासकर जब वे पैसे या व्यक्तिगत जानकारी माँगने लगें। अपनी मेहनत की कमाई को बचाने के लिए हर कदम पर चौकस रहना बेहद जरूरी है।

कुल मिलाकर, 'डिजिटल अरेस्ट स्कैम' एक गंभीर खतरा है जो हमारे डिजिटल जीवन को निशाना बना रहा है। यह धोखाधड़ी सिर्फ वित्तीय नुकसान ही नहीं पहुंचाती, बल्कि मानसिक तनाव भी देती है। इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए हमें जागरूक और सतर्क रहना होगा। किसी भी अनजान कॉल या संदेश पर तुरंत विश्वास न करें और अपनी निजी जानकारी साझा करने से बचें। याद रखें, आपकी सतर्कता ही आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा है

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