नई दिल्लीः भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-In) द्वारा शुक्रवार को जारी एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया डिजिटल से क्वांटम अर्थव्यवस्था की ओर एक बड़े बदलाव के मुहाने पर है।

क्या कहती है CERT-In रिपोर्ट

भारत की राष्ट्रीय साइबर एजेंसी द्वारा वैश्विक साइबर सुरक्षा फर्म SISA के सहयोग से संकलित आँकड़े इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि क्वांटम कंप्यूटिंग अब एक भविष्यवादी विचार नहीं, बल्कि साइबर सुरक्षा और डिजिटल बुनियादी ढाँचे पर गहरा प्रभाव डालने वाली एक तेज़ी से उभरती वास्तविकता है। 'ट्रांज़िशनिंग टू क्वांटम साइबर रेडीनेस' शीर्षक वाली यह रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे क्वांटम कंप्यूटर, जो क्वांटम तंत्र के सिद्धांतों का उपयोग करके संचालित होते हैं, अब अनुसंधान प्रयोगशालाओं से बाहर निकलकर वास्तविक दुनिया में उपयोग में आ रहे हैं।

कई कंपनियों ने की उल्लेखनीय वृद्धि

CERT-In ने बताया कि कई वैश्विक तकनीकी कंपनियाँ पहले ही उल्लेखनीय प्रगति कर चुकी हैं। दिसंबर 2024 में लॉन्च होने वाली Google की विलो चिप ने 105 क्यूबिट के साथ त्रुटि सुधार में एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। Microsoft ने फरवरी 2025 में अपना मेजराना-1 प्रोसेसर पेश किया, जिसका लक्ष्य दस लाख क्यूबिट तक विस्तार करना है। आईबीएम का लक्ष्य 2029 तक दोष-सहिष्णु प्रणालियाँ बनाना है और क्वांटिनम ने रिकॉर्ड तोड़ सटीकता के साथ 56-क्यूबिट ट्रैप्ड-आयन क्वांटम कंप्यूटर बनाया है।


CERT-In की रिपोर्ट के अनुसार, नोकिया क्वांटम नेटवर्किंग के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहा है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब संयुक्त राष्ट्र ने 2025 को अंतर्राष्ट्रीय क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी वर्ष घोषित किया है, जो दर्शाता है कि वैश्विक समुदाय इस बदलाव को कितनी गंभीरता से ले रहा है।

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क्वांटम कंप्यूटिंग तंत्र में तेजी से विकास

सेमीकंडक्टर्स से लेकर सिस्टम सॉफ्टवेयर तक, क्वांटम कंप्यूटिंग से जुड़ा पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से विकसित हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्वांटम कंप्यूटिंग की क्षमताएँ अपार हैं, लेकिन इसमें गंभीर साइबर सुरक्षा जोखिम भी हैं। क्वांटम कंप्यूटर आज की मशीनों की तुलना में जटिल समस्याओं को बहुत तेज़ी से हल कर सकते हैं, जिसका अर्थ यह भी है कि वे मौजूदा एन्क्रिप्शन विधियों को तोड़ सकते हैं।

RSA जैसे एन्क्रिप्शन एल्गोरिदम, जिनका उपयोग वित्तीय लेनदेन, मैसेजिंग ऐप्स, डिजिटल हस्ताक्षर और यहाँ तक कि ब्लॉकचेन सिस्टम की सुरक्षा के लिए किया जाता है, को आसानी से क्रैक किया जा सकता है। इससे बड़े पैमाने पर डेटा उल्लंघन हो सकते हैं और डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ को खतरा हो सकता है।

CERT-In रिपोर्ट के अनुसार, एक और बड़ी चुनौती यह है कि कई संगठनों को अभी भी अपने मौजूदा क्रिप्टोग्राफ़िक सिस्टम की स्पष्ट समझ नहीं है। भविष्य में जब पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी की आवश्यकता होगी, तो ये ब्लाइंड स्पॉट विनाशकारी साबित हो सकते हैं।

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