भारत में नकली नोटों का कारोबार पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। खासतौर पर 500 और 2000 रुपये के नकली नोटों ने सरकार और वित्तीय संस्थानों की चिंता बढ़ा दी है। 31 मार्च 2024 को समाप्त हुए वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान पकड़े गए नकली नोटों के आंकड़े इसे और स्पष्ट करते हैं।

500 रुपये के नकली नोटों में 5 साल में 4 गुना वृद्धि

पिछले वित्त वर्ष में 500 रुपये के नकली नोटों की संख्या 8,571।1 करोड़ थी। यह आंकड़ा चिंताजनक है, क्योंकि 5 साल पहले, यानी 2018-19 में यह संख्या केवल 2,186।5 करोड़ थी। इसका मतलब है कि 500 रुपये के नकली नोटों में 292% की भारी वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि, सालाना तुलना करें तो 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में 500 रुपये के नकली नोटों में करीब 6% की कमी आई है। वित्त वर्ष 2022-23 में यह संख्या 9,111 करोड़ थी।

दूसरी ओर, 2000 रुपये के नकली नोटों की संख्या में सालाना आधार पर बड़ा इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2023-24 में 2000 रुपये के 2,603।5 करोड़ नकली नोट पकड़े गए, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 165% अधिक है। 2022-23 में यह आंकड़ा केवल 9806 करोड़ थायह वृद्धि दिखाती है कि नकली नोटों के मामले में उच्च मूल्यवर्ग के नोट तेजी से अपराधियों के निशाने पर हैं।

नकली नोटों से निपटने की चुनौती

500 और 2000 रुपये के नकली नोटों की बढ़ती संख्या से यह साफ है कि नकली नोटों का नेटवर्क मजबूत होता जा रहा है। हालांकि, सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस समस्या से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। नकली नोटों की पहचान और उन्हें रोकने के लिए नई तकनीक और सख्त निगरानी की जरूरत है।

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