8 Jun, 2025

BY: Komal

इस मौसम में भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये काम, आयुर्वेद में है उल्लेख

आयुर्वेद हमें स्वस्थ रहने के सरल और प्राकृतिक तरीके सिखाता है। यह न केवल उपचार करता है, बल्कि जीवनशैली को सही तरीके से निर्देशित भी करता है। इससे न केवल हम स्वस्थ रहते हैं, बल्कि ऊर्जा से भरपूर भी महसूस करते हैं।

आयुर्वेद में वर्तमान समय को 'आदन काल' माना जाता है। यह लगभग मध्य मई से मध्य जुलाई तक चलता है। यह वह समय होता है जब सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ता है और हमारे शरीर से ऊर्जा को अवशोषित करता है। इस दौरान हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है।

आदन काल के दौरान हमारे शरीर में 'कटु रस' यानी तीखा स्वाद बढ़ जाता है। आयुर्वेद के अनुसार इस तीखे स्वाद के बढ़ने से शरीर में वात दोष बढ़ने लगता है। यह वात दोष शरीर में जमा होने लगता है, जो बाद में बारिश के मौसम में शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है।

आदन काल के दौरान सूर्य और वायु की प्रकृति मजबूत होती है, जो शरीर और धरती से शीतल गुणों को अवशोषित करती है। चरक संहिता में इसकी व्याख्या की गई है। इस दौरान शरीर पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं, जैसे गर्मी, पसीना और अन्य विकार।

इन स्थितियों से निपटने के लिए आहार हल्का होना चाहिए। आयुर्वेद विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में खान-पान का विशेष ध्यान रखना फायदेमंद होता है।

खासकर उन लोगों को इस दौरान खास ख्याल रखना चाहिए जो न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर जैसे मांसपेशियों और नसों से जुड़ी बीमारियों या ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित हैं। इन बीमारियों में शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही कोशिकाओं पर हमला करता है।

जिससे स्वास्थ्य और बिगड़ सकता है। इस दौरान ऋतुचर्या के सिद्धांतों का पालन करना भी बहुत जरूरी है। ऋतुचर्या यानी मौसम के हिसाब से खान-पान, जीवनशैली और दिनचर्या में बदलाव करने से स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलती है।

जैसे गर्मियों में हल्का, ठंडा और आसानी से पचने वाला खाना खाना चाहिए। ज्यादा मसालेदार, खट्टा या तला हुआ खाना खाने से बचें क्योंकि इससे वात और बढ़ सकता है।

साथ ही नियमित व्यायाम, योग और ध्यान से शरीर और दिमाग दोनों को संतुलित रखा जा सकता है। तनाव से बचना और अच्छी नींद लेना भी जरूरी है, क्योंकि इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।

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