अगर आप भी भूकंप के खतरों से बचना चाहते हैं तो आपको अपने फोन में Earthquake Detector इनेबल कर लेना चाहिए। Google का ये कमाल का फीचर आपको भूकंप (Earthquake) आते ही अलर्ट कर देगा और आप अपनी सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठा सकेंगे।
सोमवार की सुबह करीब 5:36 बजे देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई शहरों में भूकंप के तेज झटके महसूस हुए। दिल्ली-एनसीआर में तो 4 स्केल के तेज झटके महसूस किए गए। अगर आप भी सबसे भयावह प्राकृतिक आपदा भूकंप से अलर्ट होना चाहते हैं तो आपके फोन में Earthquake Detector Enable होना बेहद जरूरी है। इसके जरिए आपको भूकंप आते ही अलर्ट मिल सकेगा और आप सुरक्षा के लिए जरूरी कदम भी उठा पाएंगे।
गूगल प्रोवाइड कराता है Earthquake Detector का फीचर
Android यूज करने वाले सभी यूजर्स के फोन में Earthquake Detector काम करता है, क्योंकि गूगल की तरफ से एंड्रायड अर्थक्वेक अलर्ट सिस्टम प्रोवाइड कराया जाता है। यह फीचर भारत में काम करता है। ऐसे में अगर आप भी एंड्रायड फोन यूज करते हैं तो इस फीचर को भी आप Enable कर सकते हैं और भूकंप आने पर अलर्ट हो सकते हैं। हालांकि, स्मार्टफोन में इस फीचर को Activate करना पड़ता है।
इसके लिए यूजर्स को मोबाइल की सेटिंग में जाकर इसे इनेबल और डिसेबल (Enable/Disable) करना होता है। Earthquake Detector को लेकर जानकारी खुद गूगल ने एक ब्लॉगपोस्ट के जरिए दी थी। हालांकि, पिछले दिनों गूगल Earthquake Detector फीचर को ब्राजील में बंद कर चुका है क्योंकि इसके जरिए फेक जानकारी दी जा रही थी।
Seismometers की तरह काम करता है Earthquake Detector
गूगल ब्लॉगपोस्ट की तरफ से जानकारी दी गई थी कि प्रोवाइड कराया गया यह फीचर Seismometers की तरह काम करता है। एंड्रायड स्मार्टफोन के अंदर छोटा सा Accelerometers लगा होता है, जो कि Seismometers की तरह काम करता है। जब स्मार्टफोन चार्जिंग पर लगा होता है तो यह भूकंप को शुरूआती स्टेज में ही पहचान लेता है।
Earthquake Detector ऐसे देता है भूकंप केंद्र की जानकारी
गूगल ने अपने ब्लॉगपोस्ट में बताया है कि एक ही लोकेशन के एंड्रायड स्मार्टफोन एक साथ एक जैसे कंपन करने लगेंगे, उसके बाद गूगल को भूकंप केंद्र की जानकारी मिल जाती है। इसके बाद गूगल अलर्ट के जरिए आस-पास के इलाकों तक इसकी जानकारी पहुंचा देता है। गूगल का मानना है कि इंटरनेट सिग्नल्स (Internet Signals) की जो स्पीड होती है, वह भूकंप की गति से कई गुना ज्यादा होती है क्योंकि इंटरनेट सिग्नल्स लाइट की स्पीड पर चलते हैं।
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