गौतम Adani, जो भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक हैं, अब एक बार फिर से मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उनकी मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। जहां एक ओर अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के खिलाफ आरोप लगाए थे, वहीं अब अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी और उनके सहकर्मियों पर रिश्वत देने के आरोप लगाए हैं। इसके बाद से अडानी की कंपनियों के प्रोजेक्ट्स को लेकर भारत के बाहर भी चिंता की लहर दौड़ गई है।
अमेरिका में गहरी मुसीबत
अमेरिकी न्याय विभाग ने Adani ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी और उनके साथियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप यह है कि अडानी ग्रुप ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देकर विदेशी निवेश जुटाया और फंड्स का प्रवाह सुनिश्चित किया। अमेरिकी जांच एजेंसियों ने अडानी के खिलाफ समन जारी कर दिया है। इन आरोपों के खुलासे के बाद अडानी की कंपनियों के प्रोजेक्ट्स पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवाल उठने लगे हैं।
केन्या में Adani को बड़ा झटका
अमेरिका में लगे आरोपों के बाद केन्या सरकार ने अडानी ग्रुप से जुड़ी दो बड़ी परियोजनाओं को रद्द कर दिया। केन्या के राष्ट्रपति विलियम रुटो ने बिजली ट्रांसमिशन और एयरपोर्ट विस्तार से संबंधित परियोजनाओं को स्थगित करने का आदेश दिया। लगभग 6000 करोड़ रुपये की डील अब अडानी ग्रुप के लिए संकट का कारण बन गई है। यह स्थिति अडानी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है, क्योंकि यह प्रोजेक्ट्स उनकी अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक योजना का अहम हिस्सा थे।
बांग्लादेश और श्रीलंका में भी खतरे की घंटी
Adani के लिए सिर्फ केन्या ही नहीं, बांग्लादेश और श्रीलंका में भी समस्याएं बढ़ रही हैं। बांग्लादेश सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ हुई प्रमुख बिजली उत्पादन डील की जांच शुरू कर दी है। शेख हसीना सरकार ने यह निर्णय लिया है कि अडानी के साथ हुए सात समझौतों की समीक्षा की जाएगी। वहीं, श्रीलंका में भी Adani ग्रुप को झटका लगा है। वहां की नई सरकार ने अडानी ग्रीन सहित अन्य प्रोजेक्ट्स पर फैसला रोक दिया है। उनका कहना है कि मामले की समीक्षा की जा रही है और कोई अंतिम निर्णय अभी नहीं लिया गया है।
इस प्रकार, गौतम अडानी के लिए ये घटनाएं एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही हैं कि क्या उनके व्यवसाय की अंतरराष्ट्रीय विस्तार योजना अब खतरे में पड़ चुकी है।
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