भारत में शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बात का खुलासा SBI रिसर्च की नई रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर साल करोड़ों नए डीमैट खाते खोले जा रहे हैं। 2021 से अब तक हर साल कम से कम 30 मिलियन (3 करोड़) नए डीमैट खाते पंजीकृत किए जा रहे हैं। इसके अलावा, हर चार निवेशकों में से एक महिला है, जो महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है।
SBI की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
SBI की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 तक देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 150 मिलियन (15 करोड़) को पार कर गई, जिनमें से 92 मिलियन एनएसई पर यूनिक इन्वेस्टर्स हैं। यह संख्या वित्त वर्ष 2014 में मात्र 22 मिलियन थी। SBI की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस वर्ष नए डीमैट खातों की संख्या 40 मिलियन का आंकड़ा पार कर सकती है। महिलाओं की भागीदारी भी तेजी से बढ़ रही है। दिल्ली (29.8%), महाराष्ट्र (27.7%), और तमिलनाडु (27.5%) जैसे राज्य महिलाओं की हिस्सेदारी के मामले में शीर्ष पर हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 23.9% है।
बाजारों में युवाओं की भागीदारी भी तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार, 30 साल से कम उम्र के निवेशकों की संख्या में वृद्धि हुई है। तकनीकी प्रगति, कम ट्रेडिंग लागत, और जानकारी तक बढ़ती पहुंच ने युवा निवेशकों को आकर्षित किया है। बिहार (15.4%), उत्तर प्रदेश (18.2%), और ओडिशा (19.4%) जैसे राज्यों में महिलाओं की भागीदारी अभी भी 20% से कम है।
पूंजी बाजार और आर्थिक विकास का संबंध
रिपोर्ट बताती है कि बाजार पूंजीकरण में 1% की वृद्धि से जीडीपी में 0.06% की वृद्धि होती है। वित्त वर्ष 2014 के मुकाबले वित्त वर्ष 2025 तक पूंजी बाजारों से जुटाई गई राशि में 10 गुना से अधिक वृद्धि हुई है। SIP (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) खातों की संख्या चार गुना बढ़कर 4.8 करोड़ हो गई है।
एनएसई का बाजार पूंजीकरण वित्त वर्ष 2014 के मुकाबले छह गुना बढ़कर 441 लाख करोड़ रुपये हो गया है। औसत ट्रेड साइज 2014 के 19,460 रुपये से बढ़कर 2025 में 30,742 रुपये हो गया है। यह आंकड़े भारत में शेयर बाजार और डीमैट खातों की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाते हैं।
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