त्योहारी सीजन और छुट्टियों के दौरान Air Ticket की कीमतों में इजाफा होना आम बात है। अक्सर लोग मान लेते हैं कि एयरलाइंस कंपनियां यात्रियों से ज्यादा वसूली कर रही हैं। लेकिन एक ग्लोबल स्टडी की मानें, तो सच्चाई इसके उलट है। इस अध्ययन के मुताबिक, जेट फ्यूल की बढ़ती कीमतों और महंगाई के बावजूद एयर टिकट के दाम उतनी तेजी से नहीं बढ़े हैं। 2015 से अगस्त 2024 तक के आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट हुआ है कि एयरलाइंस कंपनियों ने बढ़ती लागत का बड़ा हिस्सा खुद वहन किया है।
महामारी के दौरान Air Ticket की स्थिति
महामारी से थी पहले सस्ती उड़ानें
2015 से 2020 के बीच वैश्विक स्तर पर एयर टिकट की कीमतें घट रही थीं। यात्रियों को कम खर्च में यात्रा का आनंद मिल रहा था।
महामारी के दौरान गिरावट:
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को थाम दिया। नतीजतन, हवाई यात्रा ठप हो गई, और एयर टिकट की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट देखी गई।
महामारी के बाद बढ़ोतरी:
हालात सामान्य होते ही हवाई यात्रा की मांग तेजी से बढ़ी। इससे Air Ticket के दाम भी बढ़ने लगे। हालांकि, यह वृद्धि महंगाई और जेट फ्यूल की बढ़ी हुई कीमतों के अनुपात में काफी धीमी रही।
आंकड़े बताते हैं हकीकत
Nominal टिकट की स्थिति:
2024 के अगस्त तक Air Ticket के दाम, 2015 के मुकाबले 3% कम रहे। यह आंकड़ा महंगाई और अन्य आर्थिक प्रभावों को नजरअंदाज करके निकाला गया है।
जेट फ्यूल की कीमत:
2015 से 2024 के बीच जेट फ्यूल की कीमतें 2% बढ़ीं, जो उपभोक्ता महंगाई दर से अधिक थीं।
वास्तविक टिकट की स्थिति:
महंगाई को ध्यान में रखते हुए, एयर टिकट के वास्तविक दामों में 37% की गिरावट आई। यानी यात्रियों को अपेक्षाकृत सस्ती उड़ान का फायदा मिला।
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